नरेश मीणा के बहाने थी थर्ड फ्रंट की तलाश, आप ने भी जमीन तलाशने की कोशिश की
दो दलीय सोच फिलहाल टूटता दिखता नहीं
मधु आचार्य ' आशावादी '
RNE Special.
अंता विधानसभा उप चुनाव के परिणाम से राज्य की सरकार पर कोई असर पड़ना नहीं था, यह बात तो आरम्भ से ही तय थी। इस चुनाव के परिणाम का असर भाजपा व कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर क्या पड़ता है, यह देखने की बात थी। इससे भी ज्यादा इस परिणाम से यह भी तय होना था कि राज्य में तीसरे मोर्चे की कोई लेश मात्र भी संभावना है या नहीं, राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चुनाव परिणाम की बड़ी रुचि यही थी।
कल अंता का चुनाव परिणाम आया और अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस के पक्ष में रहा। भाजपा से यह सीट कांग्रेस ने छीन ली। मुख्य चुनाव के समय इस सीट को भाजपा ने कांग्रेस से छीना था। प्रमोद जैन भाया दो साल के वनवास के बाद फिर से विधानसभा पहुंच गये। अंता के चुनाव परिणाम की गूंज राजनीतिक गलियारे में कई दिनों तक रहेगी, यह तो तय है।
नरेश के बहाने थर्ड फ्रंट की तलाश:
कांग्रेस व भाजपा से अलग चलकर राजनीति करने की चाह रखने वालों ने इस बार अंता उप चुनाव को एक अवसर के रूप में लिया था। इस सोच की राजनीति करने वालों ने थर्ड फ्रंट की तलाश नरेश मीणा के बहाने करने की कोशिश की।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, हनुमान बेनीवाल की रालोपा, अखिलेश यादव की सपा और लगातार इस सोच से राजनीति करने वाले राजेन्द्र गुडा, सब नरेश मीणा के साथ लगे। ताकि अंता से थर्ड फ्रंट की नींव को रखा जा सके। इन सबने मिलकर भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ पूरी ताकत लगाई। मगर जिस राह की तलाश थी, वो अंता से नहीं निकली।
आप का प्रयोग भी विफल हुआ:
आम आदमी पार्टी पिछले तीन विधानसभा चुनावों से राजस्थान में पैर जमाने की कोशिश कर रही है, मगर उसे जमीन नहीं मिली। अनेक बार अपने दिल्ली के नेताओं को यहां लगाया मगर संगठन का ढांचा खड़ा नहीं हो सका।
दिल्ली विधानसभा चुनाव इस बार आप हारी, जिसका ठीकरा उसने कांग्रेस पर फोड़ा। ये सही भी था। राजस्थान में कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए उसे जमीन चाहिए थी। उस हालत में उसने नरेश मीणा पर दाव लगाया। क्योंकि उसके साथ हनुमान बेनीवाल भी थे।
नरेश मीणा की मतदान से पहले हुई बड़ी चुनावी सभा मे आप सांसद संजय सिंह शामिल हुए। जमकर कांग्रेस व भाजपा पर हमले किये। मगर नरेश की हार से आप की थर्ड फ्रंट की कोशिशों को भी धक्का लगा है।
रालोपा का साथ बेअसर रहा:
नरेश मीणा को साथ देने रालोपा सुप्रीमो सांसद हनुमान बेनीवाल भी मैदान में उतरे। रालोपा अकेली ऐसी पार्टी है जो राजस्थान में लगातार तीसरे दल के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है।
इस बार भी हनुमान बेनीवाल पूरी शक्ति के साथ नरेश मीणा के साथ उतरे। हेलीकॉप्टर से आये। अपने अंदाज में भाजपा व कांग्रेस पर प्रहार भी किये। किंतु नरेश सफल नहीं हुए। थर्ड फ्रंट की कोशिशों को रालोपा ने मदद की, मगर कोई चमत्कार अंता में नहीं हुआ।
दो दलीय सोच ही मजबूत:
राजस्थान की राजनीति में टक्कर सदा भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होती रही है। इनके बीच कोई भी तीसरा दल उभर नहीं सका है। पहले सोशलिस्ट पार्टी, फिर सीपीआई - सीपीएम, फिर सामाजिक न्याय मंच, फिर किरोड़ी मीणा की पार्टी और अब रालोपा, खूब जोर लगाया इन दलों ने पर उभर नहीं सके है।
इस तरह अंता के चुनाव परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राज्य दो दलीय व्यवस्था चलनी है, फिलहाल तो थर्ड फ्रंट की संभावना दिखती नहीं।