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50 में से 40 जिलों के कांग्रेस अध्यक्ष तय हुए, कभी भी जारी हो सकती है जिलाध्यक्षों की सूची

वोट चोरी मुद्दे में सड़क पर न उतरने वाले नेताओं पर गिरेगी गाज
निष्क्रिय व भाजपा के प्रति सॉफ्ट नेता चिन्हित
प्रदेश में भी कांग्रेस का चेहरा बदलने की आहट
 

मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
 

कांग्रेस संगठन सृजन अभियान अब राजस्थान में अंतिम चरण में है। बिहार में हारने के बाद विपक्षी दलों के बीच अलग - थलग पड़ी कांग्रेस ने अब खुद को खुद के पांव पर ही खड़ा होने के लिए कवायद आरम्भ कर दी है। हार से तिलमिलाई कांग्रेस ने अब किसी भी स्तर पर अपने नेताओं से समझौता न करने व संगठन को लेकर सख्त रवैया रखने के संकेत भी दे दिए है। इससे राजस्थान के कांग्रेस नेता भी सहमे हुए नजर आ रहे है।

कांग्रेस अपने संगठन सृजन अभियान के तहत राज्य में नए जिलाध्यक्ष बनाने के अंतिम चरण में है। ऑब्जर्वर्स की रिपोर्ट, उनकी के सी वेणुगोपाल से चर्चा, फिर वेणुगोपाल की गोविंद डोटासरा, सुखजिंदर सिंह रंधावा व टीकाराम जुली से बात और फिर उनकी अशोक गहलोत व सचिन पायलट से बात हो गयी। हर जिलाध्यक्ष के लिए अलग से पैनल बन गया। राहुल गांधी ने बाद में पैनल पर रंधावा से बात कर ली। अब कभी भी जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है। राज्य में निकट भविष्य में निकाय चुनाव है, उनसे पहले कांग्रेस अपने संगठन सृजन अभियान को पूरा कर लेना चाहती है ताकि उन चुनावों से ही नई टीम की परीक्षा होनी आरम्भ हो जाये।
 

80 प्रतिशत जिलाध्यक्ष तय हुए:
 

राज्य के 50 में से 40 जिलाध्यक्ष तय हो गए है। अब केवल 10 जिलाध्यक्ष तय होने बाकी है। इन 10 में केवल जातीय समीकरण देखे जा रहे है। इस बार जिलाध्यक्षों पर खुद राहुल गांधी ने मुहर लगाई है। पार्टी के प्रति निष्ठा, सक्रियता, उम्र व जातीय समीकरणों को ध्यान में रखा गया है। नेताओं की सिफारिश को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। अब यह सूची कभी भी जारी हो सकती है। 
 

सड़क पर न आने वालों पर नजर:

राहुल गांधी ने ' वोट चोरी ' के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया हुआ है और वे लगातार चुनाव आयोग पर हमला बोल रहे है। विपक्ष अब इस मसले पर असमंजस की स्थिति में है। राहुल इस मुद्दे को छोड़ना नही चाहते।
राहुल इस मुद्दे के जरिये केंद्र सरकार को घेरने की योजना बना रहे है। वहीं 250 से अधिक सेवानिवृत न्यायिक अधिकारी भी अब राहुल के इस मुद्दे के खिलाफ खड़े हुए है और आरोप लगाया है कि वे संवैधानिक संस्थानो को बदनाम कर रहे है।

 

इस कदम से राहुल और भड़के है। उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि इस मुद्दे को लेकर यदि पार्टी का कोई बड़ा नेता भी सड़क पर नहीं उतरा तो उसका पार्टी में कोई स्थान नहीं। निष्क्रिय व भाजपा के प्रति सॉफ्ट व्यवहार रखने वाले नेताओं की भी सूची बनाई गई है और उनको विदाई देने की योजना भी तैयार की गई है। उनको संगठन में तरजीह नहीं दी जायेगी। राजस्थान में भी इस श्रेणी में आने वाले नेताओं की लिस्ट तैयार हुई है। यह काम टीम राहुल ने किया है।
 

प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बदलेगा?
 

राजस्थान में कांग्रेस का चेहरा बदलने की आहट भी अब सुनाई देने लग गई है। हालांकि अंता का उप चुनाव कांग्रेस ने जीता है। वर्तमान पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा का कार्यकाल पूरा हो चुका है, अब ये आलाकमान को तय करना है कि वो उनको कंटिन्यू रखता है या बदलता है। हालांकि संगठन में अभी जो बदलाव आलाकमान करना चाहता है वो अगले विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखकर करने का विचार कर रहा है। ताकि चुनाव के लिए नए नेतृत्त्व को पूरा समय मिले। 

लेकिन इतना तो तय है कि राजस्थान कांग्रेस में जिले से लेकर प्रदेश तक बदलाव की पदचाप तेज सुनाई देने लग गयी है। अब ये पदचाप स्वर कितने दिनों में लेती है, यह देखने की बात है। लेकिन बदलाव निश्चित ही है, उसे अब कोई टाल नहीं सकता।