क्या राजे फिर आ रही है सत्ता के केंद्र में, पाटों पर इसी बात की चर्चा
RNE Network.
बीते सप्ताह बीकानेर राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा। भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गज बीकानेर आये। वजह रही, किसान केसरी व कद्दावर नेता रामेश्वर डूडी का निधन। राज्य ही नही , समीप के राज्यों से भी लोग दलीय दीवार तोड़कर इस जांबाज नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित करने आये। इससे साबित भी हुआ कि रामेश्वर डूडी जैसा कद्दावर नेता कोई नहीं हुआ अब तक तो। आगे का जवाब तो भविष्य के गर्भ में है।
यूं कैसे बदल गये नेताजी ???
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शोक व्यक्त करने बीकानेर आयी। उनके व डूडी साहब के निकट के सम्बंध थे। जब वे सीएम थी तो डूडी नेता प्रतिपक्ष थे। कम सदस्यों के बाद भी डूडी सदन में सत्ता पक्ष को परेशानी में डालते रहते थे।
राजे के आगमन की सूचना आरम्भ में उनके कुछ निजी गैर राजनीतिक लोगों के पास थी। उनके जरिये कुछ नेताओं तक पहुंची। फिर तो कमाल हो गया। जो भाजपा नेता पहले राजे के गुणगान करते नहीं थकते थे वे पिछले डेढ़ साल से राजे से नजरें चुराकर चल रहे थे। मगर उस दिन वे सभी नाल एयरपोर्ट राजे की अगवानी के लिए पहुंचे हुए थे।
राजे की फिर से अगवानी में पहुंचने वाले एक पुराने विधायक, राजे से पद लाभ लेने वाले एक व्यवसायी, एक दिग्गज राजनेता, एक पूर्व पार्टी प्रमुख, एक मौसमी विरासत की राजनीति करने वाले व्यापारी आदि भी पाला बदल स्वागत करने पहुंचे हुए थे और राजे को चेहरा दिखाने की होड़ में लगे थे। राजे भी उनको देख मुस्कुरा रही थी।
इस रंग बदल नेताओं की गतिविधि से लगता है कि राजे फिर से शक्ति का केंद्र बनने वाली है। तभी तो इन नेताओं ने गिरगिट की तरह रंग बदला है। मगर एक कैमरा दूर से इन सब नेताओं की तस्वीरें भी कैद कर रहा था, ताकि कहीं किसी बड़े नेता को पूरी रिपोर्ट तथ्यों सहित दी जा सके। पाटों पर इन रंग बदलने वाले विधायक जी, पहले के पार्टी मुखिया जी, व्यवसायी के बाद भी राजनीतिक पद लेने वाले नेताजी, विरासती राजनीति करने वाले व्यवसायी जी पर चटखारे लेकर चर्चा कर रही थी।
वे रंग के साथ जमीर भी बेचते गये
पल में आदमी से वे गिरगिट हो गये
सतीश पूनिया संग गिरगिट नहीं दिखे:
रामेश्वर डूडी के यहां शोक जताने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया अगले दिन आये। आश्चर्य, ये गिरगिट छाप नेता उनके साथ नहीं दिखे। पाटेबाजो का मानना है कि कल राजे के साथ दिखने के बाद यदि आज पूनिया के साथ दिख गये तो नम्बर कट जाएंगे। लोग मेडम तक तुरंत सूचना पहुंचा देंगे। इस डर के कारण डरे हुए गिरगिटी नेता पुनिया के समय नदारद दिखे। वे नेता जरूर साथ थे जो राजे की अगवानी में नहीं गए थे। पाटों का मानना है कि व्यवसायी से बने राजनेता, फायदे की चाह वाले जन प्रतिनिधि, जमीनों से जुड़े सरकारी सामान के सप्लायर नेता रिस्क बिल्कुल नहीं लेते। इस कारण ही वे चढ़ते सूरज को सलाम करते है।
गमछा डांस से मशहूर नेताजी की चुप्पी:
रामेश्वर डूडी के निधन पर दो बार कांग्रेस के मुखिया जी बीकानेर आये। दाह संस्कार में शामिल होने आये, सिर प्रभारी सरदारजी के साथ शोक जताने भी आये। मगर बड़बोले समझे जाने वाले मुखिया जी इस बार चुप थे। ज्यादा बोल नहीं रहे थे। पाटों पर उनकी चुप्पी की भी खूब चर्चा थी। एक पाटेबाज का कहना था कि संगठन में बदलाव की लू चल रही है। बोलकर नेताजी कुछ भी खराब नहीं करना चाहते। इस कारण इन दिनों चुप है।
कल्ला का बड़ा कद सामने आया:
पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ बी डी कल्ला का कद भी कितना बड़ा है, यह पहली बार बीकानेर को पता चला। पाटों को ये भी पहली बार पता चला कि जनार्दन कल्ला का कांग्रेस में वजूद छोटा नहीं है। भाजपा और कांग्रेस का हर बड़ा नेता जो डूडी के यहां आया वो समान रूप से जनार्दन कल्ला की धर्मपत्नी व बी डी कल्ला की भाभी के यहां भी शोक जताने गया। पहली बार आने पर उनकी ही पार्टी के मुखिया जी को न जाने पर बहुत सुनना पड़ा। दूसरी बार मे गलती सुधारी। पाटे भी तभी मुखिया जी को लेकर नरम पड़े।
पाटेबाज