वेणुगोपाल ने 48 जिलों का पैनल राहुल को दिया, टीम राहुल कर रही पैनल का गहन विश्लेषण
नियुक्ति में थोड़ा समय और लग सकता है अभी
प्रदेश की टीम को रखा जा रहा है ध्यान में
मधु आचार्य ' आशावादी '
RNE Special.
संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान में 30 अक्टूबर तक कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति होनी थी, मगर ये नियुक्तियां नहीं हो सकी है। एकबारगी जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां अटक गई है। जबकि जिलों में रायशुमारी के बाद ऑब्जर्वर्स अपनी रिपोर्ट भी दे चुके।
उनकी रिपोर्ट के बाद संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल भी उनसे वन टू वन बात कर चुके। पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा व टीकाराम जुली से भी पैनल पर बात हो गयी। पूर्व सीएम अशोक गहलोत व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से भी विचार हो गया।
इन सब स्तरों पर चर्चा के बाद अधिकतर जिलों के लिए एक एक नाम व कुछ जगहों के लिए 2 नाम का पैनल तैयार कर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सौंप दिया गया। अंतिम निर्णय उनको ही करना है।
48 जिलाध्यक्षों के पैनल:
कांग्रेस ने राज्य के 50 में से 48 जिलाध्यक्षों का पैनल बनाया है। अंता उप चुनाव के कारण 2 जिलों में जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया बाद में तय करना निर्धारित हुआ। मगर ये 48 जिलाध्यक्षों की सूची भी अटकी हुई है।
पैनल के अटकने के कई कारण:
जिलाध्यक्षों की सूची अटकने के कई कारण बताए जा रहे है। सबसे बड़ा कारण तो यह है कि टीम राहुल पैनल का गहन विश्लेषण कर रही है। क्योंकि ये टीम अपने सर्वे के आधार पर उसका नाम भी जिलाध्यक्ष के लिए तय कर सकती है जिसका नाम पैनल में नहीं हो। गहन विश्लेषण में ही समय लग रहा है। इस प्रक्रिया से यह भी माना जा रहा है कि पैनल से दीगर नाम आने तय लगते है।
जिलाध्यक्षों की सूची अटकने की दूसरी बड़ी वजह बिहार विधानसभा के चुनाव है। राहुल गांधी इन चुनावों में व्यस्त होने के कारण जिलाध्यक्षों का निर्णय नहीं कर पा रहे है। वहीं संतुष्टि के लिए पैनल के आधार पर टीम राहुल फील्ड से जानकारी जुटाने में लगी हुई है।
थोड़ा समय लग सकता है:
वर्तमान स्थितियों को देखते हुए लगता है कि अभी जिलाध्यक्षो की सूची आने में थोड़ा समय लग सकता है। पहले सूची 30 अक्टूबर तक आनी थी, फिर यह सूची 3 नवम्बर तक जारी होने की बात कही गयी। मगर अब लगता है नवम्बर के दूसरे सप्ताह तक ही ये सूची आएगी।
प्रदेश की गणित देखी जा रही:
दरअसल कांग्रेस को प्रदेश स्तर पर भी संगठन में बदलाव करना है। लगता है उस बदलाव को ध्यान में रखकर ही जिलाध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप दिया जायेगा।