SAHITYA : राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार से साबित हुआ कि राजस्थानी एक पूर्ण भाषा, बोलियों का झंझट ही नहीं
जितनी बोलियां उतनी ही राजस्थानी समृद्ध भाषा
दादा भोगीलाल को पुरस्कार, निष्पक्षता की ही कहानी
ये भी साबित हुआ कि राजस्थानी में काम का होता है सम्मान
अभिषेक पुरोहित
साहित्य अकादमी, नई दिल्ली का वर्ष 2025 का सर्वोच्च राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार इस बार बांसवाड़ा के वरिष्ठ साहित्यकार दादा भोगीलाल पाटीदार को घोषित हुआ है। उनको यह पुरस्कार उनकी नाट्य कृति ' पंखेरुंव नी पीड़ा ' को दिया गया है। दादा भोगीलाल प्रचार प्रसार से कोसों दूर रहकर एक छोटे से गांव में रहते हुए भी सतत लेखन कर रहे है। वे समान रूप से राजस्थानी व हिंदी, दोनों भाषाओं में लिखते है। दादा का पहला प्यार अपनी मायड़ भाषा राजस्थानी से है।
दादा पाटीदार कविता, कहानी, नाटक सहित अनेक विधाओं में समर्पित होकर रचते है। उनको न तो प्रचार की भूख है, न ही नाम की भूख। लेखन उनके लिए ग्लैमर नहीं, अपितु समाज के लिए प्रतिबद्धता है। इस कारण ही उनकी अधिकतर साहित्यिक रचनाओं में व्यक्ति और समाज बोलता है।
मान बढ़ा राजस्थानी का
बाल साहित्य का पुरस्कार दादा भोगीलाल पाटीदार को मिलना कई मायनों में खास है और इससे राजस्थानी भाषा के मान्यता आंदोलन को बल मिला है। राजस्थानी के बारे में कहा जाता है कि इसमें कई बोलियां है। दादा भोगीलाल कभी ये नहीं कहते कि वे बागड़ी में लिखते है, वे सदा कहते है कि राजस्थानी में लिखता हूं। इससे साबित ये होता है कि बोलियां अपनी जगह मगर भाषा तो राजस्थानी ही है। इसे बोलियों में बांटने की साजिश सफल नहीं होगी, ये बात दादा भोगीलाल को मिला पुरस्कार साबित करता है। उनको बागड़ी का नहीं राजस्थानी भाषा का सर्वोच्च बाल साहित्य पुरस्कार मिला है।
जितनी बोलियां उतनी समृद्ध भाषा
भाषाविद यह मानते है कि जिस भाषा में जितनी अधिक बोलियां होती है, वो भाषा उतनी ही समृद्ध होती है। बोलियां नदियां है और भाषा समुद्र। दादा भोगीलाल को ये पुरस्कार नदी के लिए नहीं समुद्र के लिए मिला है।
निष्पक्षता की कहानी है पुरस्कार
सुदूर पूर्वी राजस्थान में एक छोटी सी जगह पर रहने वाले दादा भोगीलाल पाटीदार को पुरस्कार मिलना इस बात का प्रमाण है कि निष्पक्षता अब भी कायम है। उनको पुरस्कार निष्पक्षता की कहानी कहता है। उनको पुरस्कार से यह भी साबित होता है कि राजस्थान में काम का सम्मान होता है।
अनेक लोग हुए हर्षित
दादा भोगीलाल पाटीदार को साहित्य अकादमी, नई दिल्ली का बाल साहित्य पुरस्कार मिलने से पूरा राज्य गर्वित हुआ है, जो इस बात का प्रमाण है कि ये पुरस्कार सही कृति व कृतिकार को मिला है। बीकानेर के मधु आचार्य ' आशावादी ', संजय पुरोहित, नगेन्द्र किराड़ू, राजेन्द्र जोशी, जोधपुर के गजेसिंह राजपुरोहित, कप्तान बोरावट, इन्द्रदान चारण, राजेन्द्र बारहठ, मेड़ता के रामरतन लटियाल, श्रीगंगानगर के कृष्ण कुमार आशु, रायसिंहनगर के डॉ मंगत बादल, किरण बादल, जयपुर के डॉ राजेश व्यास, चूरू के भंवर सिंह सामोर, गीता सामोर, आदि ने दादा पाटीदार को मिले पुरस्कार पर प्रसन्नता जताई है।