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Rajasthan Railway : राजस्थान में स्पेशल ट्रेन राहत की बजाए बनी आफत, छह से सात घंटे देरी से पहुंच रही ट्रेन 

राजस्थान के स्टेशनों पर यात्रियों की उमड़ रही भीड़, ट्रेन के लिए घंटों करना पड़ रहा इंतजार 

 

राजस्थान में त्योहारी सीजन में मेलों को लेकर चलाई गई स्पेशल ट्रेन राहत की बजाए लोगों के लिए आफत बन रही है। रेलवे विभाग द्वारा यात्रियों की सुविधा देने का दावा करके यह ट्रेन चलाई थी, लेकिन यह ट्रेन छह से सात घंटे देर से चली रही है।

इसके स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ जुट रही है और घंटों स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ रहा है। आपको बता दे कि राजस्थान में इन दिनों मेलों का दौर चल रहा है। जहां दूसरे राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है। इसके कारण ट्रेनों पर लोड बढ़ गया है। 

 हालांकि रेलवे का कहना है कि इन दिनों लंबी दूरी की ट्रेन चलाने के चलते लाइनों पर ट्रैफिक लोड ज्यादा हो गय है, इसके कारण स्पेशल ट्रेनों को बीच में रोकना पड़ता है। इसके कारण ट्रेनों में निर्धारित समय से लेट हो रही है। वहीं यात्रियों का कहना है कि एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों को रेलवे प्राथमिकता दे रहा है और स्पेशल ट्रेनों को इन ट्रेनों को निकालने के लिए जगह-जगह रोका जा रहा है। 

रेलवे का कहना है कि जयपुर जैसे स्टेशनों पर दूसरे राज्यों से आने वाली लंबी दूरी की ट्रेनें ट्रैफिक लोड के कारण जगह-जगह रोकनी पड़ती हैं। रविवार को ही हडपसर-हिसार स्पेशल ट्रेन जयपुर स्टेशन पर 6 घंटे 30 मिनट देरी से पहुंची।

यात्रियों का कहना है कि रेलवे इन्हें राहत ट्रेनें बताता है, लेकिन असल में ये कई बार मुसीबत ट्रेनें बन चुकी हैं। कई बार देरी की वजह से रैक की कमी होने पर ट्रेन का संचालन रद्द या री-शेड्यूल करना पड़ता है। हैरानी की बात यह भी है कि इन स्पेशल ट्रेनों का किराया सामान्य ट्रेनों से 30 फीसदी तक अधिक होता है।

मजबूरी में करना पड़ रहा सफर

त्योहारी सीजन और आयोजनों के दौरान नियमित ट्रेनों में बुकिंग कई दिन पहले ही फुल हो जाती है। हाल ही रिजर्वेशन और चार्ट प्रणाली में बदलाव के बाद कई ट्रेनों में नो-रूम की स्थिति बन जाती है। ऐसे में यात्रियों के पास विकल्प के रूप में केवल स्पेशल ट्रेनें ही बचती हैं। लेकिन यहां भी उन्हें कई बार घंटों की देरी, थकान और अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ता है।

यात्रियों का कहना है कि रेलवे मालगाड़ियों, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों को प्राथमिकता देता है। कई बार स्पेशल ट्रेनों को किनारे कर दिया जाता है, जिससे यात्री समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते। सोशल साइट्स के जरिए भी यात्री अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

ट्रैफिक मैनेजमेंट चुनौती

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रैफिक मैनेजमेंट सबसे बड़ी चुनौती है। उनका दावा है कि स्थिति सुधारने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। ज्यादातर दिक्कतें लंबी ट्रेनों में है।