Bikaner-Jodhpur : बैंक लॉकर में 15.50 लाख के पुराने नोट निकले, कोर्ट ने कहा-चार सप्ताह में बताओ एक्सचेंज क्यों नहीं कर रहे
RNE Bikaner-Jodhpur.
Rajasthan के बीकानेर में बड़ी मात्रा में ऐसे नोट मिले हैं जो चलन से बाहर हो चुके हैं। इन नोटों को जब बैंक ने बदलने से मना कर दिया तो कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। कोर्ट ने बैंक और सरकार से पूछा है कि नोट क्यों नहीं बदल रहे। इस संबद्ध में बैंक और सरकार से 04 सप्ताह में जवाब मांगा है।
मामला यह है :
मामला एक ऐसे बैंक लॉकर से जुड़ा है जो उत्तराधिकार विवाद के कारण कोर्ट के आदेश से सील था। जब कोर्ट के आदेश पर लोकर खोला गया तो उसमें 15.50 लाख रुपए के वे नोट मिले जिनका चलन बंद (Demonetised currency) हो चुका। उत्तराधिकारियों ने बैंक को तर्क दिया कि लॉकर कोर्ट के आदेश पर बंद था ऐसे में खोल नहीं सकते थे। इस स्थिति में नोट बदलकर देने चाहिए। बैंक ने नियमों का हवाला देते हुए ऐसा करने से मना कर दिया।
कोर्ट की शरण में गए :
बीकानेर निवासी रणवीरसिंह ने अधिवक्ता विपुल सिंघवी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता सिंघवी ने "Rudra News Express" को बताया कि रणवीरसिंह के पिता चंद्रसिंह का निधन हो गया था और उनका एक बैंक लॉकर उत्तराधिकार विवाद के चलते कई सालों तक कोर्ट और बैंक की अभिरक्षा में सील रहा। बीकानेर की कोर्ट ने 13 जुलाई 2018 को सील बैंक लॉकर को खोलने के आदेश दिए थे। 21 अगस्त 2018 को बैंक लॉकर खोला गया। नोटों की गिनती की गई और पैसों की लिस्ट बनाकर लॉकर को वापस बंद कर दिया गया था। इस लॉकर में लॉकर में 500 और 1000 रुपये के बंद हो चुके पुराने नोट मिले जिनकी कुल कीमत 15 लाख 50 हजार 500 रुपए थी। इस समय तक नोटबंदी होने के साथ ही नोट बदलवाने की समय सीमा भी खत्म हो चुकी थी लेकिन मामला न्यायिक प्रक्रिया के अधीन होने से याचिकाकर्ता और उनके परिवार के पास लॉकर तक पहुंच का मौका नहीं था।
क्या कहते हैं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता :
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वित्त मंत्रालय को प्रतिवेदन दिया। वित्त मंत्रालय ने प्रतिवेदन खारिज कर दिया। वित्त मंत्रालय ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार किया कि नोटबंदी के समय जो कानून (SBN एक्ट 2017) और नोटबंदी की सरकारी अधिसूचना 2016 लागू की गई थी उसके मुताबिक अब राहत नहीं दी जा सकती।
अधिवक्ता का तर्क : कानून बनाते वक्त लचीलापन क्यों नहीं रखा :
अधिवक्ता सिंघवी का तर्क है कि इस कानून को संविधान और न्याय की भावना के मुताबिक लचीले ढंग से लागू किया जाए। किसी के पास पुराने नोट सिर्फ इसलिए रह गए, क्योंकि उन्हें कोर्ट के आदेश से ही लॉकर खोला जा सका, तो उन्हें पुराने नोट बदलवाने या उनका मूल्य पाने की सुविधा दी जाए। संपत्ति का संरक्षण संविधान का मूल अधिकार है और कोर्ट की अभिरक्षा के चलते अगर परिस्थितिवश डेमोनेटाइज्ड करेंसी को समय पर बैंक में नहीं बदला जा सका, तो इसका नुकसान नागरिक या उसके उत्तराधिकारी को नहीं होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 300A (प्राइवेट संपत्ति का संरक्षण) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का हवाला देते हुए मांग की गई कि ऐसे मामलों में न्यायालय सरकार और बैंक को पुराने नोट एक्सचेंज करने या वास्तविक मूल्य/मुआवजा देने का आदेश दे।