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Digital Arrest : राजस्थान का व्यापारी को 8 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा, मनी लॉड्रिंग केस का दिखाया भय 

मुंबई सीबीआई ब्रांच का आईपीएस अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने व्हाट्सएप ऑडियो व वीडियो कॉल के जरिए से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पीड़ित को फंसाने की धमकी दी और अलग-अलग बैंक खातों में बड़ी राशि जमा करवा ली
 

डिजिटल अरेस्ट करके आनलाइन ठगी करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। ऐसो ही मामला राजस्थान में देखने को मिला। जहां पर साइबर ठगों ने एक व्यापारी को आठ दिन तक डिजिटल अरेस्ट बनाए रखा और इसकी भनक किसी को नहीं लगी। इस दौरान साइबर ठग व्यापारी के खाते से 26 लाख 90 हजार रुपए लेकर फरार हो गए। 

पीड़ित प्रदीप कुमार सिंगड़ोदिया पुत्र शुभकरण सिंगड़ोदिया निवासी वार्ड 28 ने पुलिस थाना नवलगढ़ में मुकदमा दर्ज कराया है। पूरा मामला 15 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच चला। लेकिन पीडित प्रदीप सिंगड़ोदिया साइबर ठगों की बातों से इतना डर गया कि आठ दिनों तक यह बात परिवार के किसी सदस्य को नहीं बताई।

साइबर ठगी का बात तब सामने आई जब प्रदीप सिंगड़ोदिया ने 22 दिसंबर को ठगों के खाते में अंतिम किस्त के रूप में अपने एसबीआई बैंक के खाते से ठगों द्वारा बताए गए कोटक महिंद्रा बैंक के खाते में 5.80 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए तब इस ट्रांजेक्शन की ईमेल प्रदीप सिंगड़ोदिया की पुत्री सुचिता की मेल आईडी पर चली गई। जहां पर उनके डिजिटल अरेस्ट होने की भनक लग गई। 

15 से 22 दिसंबर के बीच ठगों ने 3 खातों से अपने खाते में रकम ट्रांसफर कराई

पुलिस को दी गई रिपोर्ट के अनुसार स्वयं को मुंबई सीबीआई ब्रांच का आईपीएस अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने व्हाट्सएप ऑडियो व वीडियो कॉल के जरिए से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पीड़ित को फंसाने की धमकी दी और अलग-अलग बैंक खातों में बड़ी राशि जमा करवा ली। पीड़ित के अनुसार साइबर ठग ने 15 से 22 दिसंबर 2025 तक उसे लगातार व्हाट्सएप कॉल किए गए।

आरोपित ने खुद को प्रदीप सांवत आईपीएस, सीबीआई ब्रांच मुंबई में पदस्थ होना बताया। उसने कहा कि तीन सितंबर 2023 को मुंबई में बैंक खाता खोला गया है। जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के 538 करोड़ रुपए का अवैध लेनदेन नरेश गोयल के द्वारा हुआ है। नरेश गोयल को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बाद, आपके, आपके बेट व पुत्रवधु के खिलाफ गिरफ्तार वारंट जारी किए गए हैं। आपका बैंक खाता किस बैंक व कहा पर है। आरोपी वीड़ियो कॉल कर पत्नी को भी धमका रहा था।

इसके बाद फर्जी अरेस्ट वारंट व एटीएम कार्ड की फोटो भेजकर उसे डिजिटल अरेस्ट में रखने का डर दिखाया। 16 दिसंबर को पीड़ित अजमेर से नवलगढ़ पहुंचा। तब आरोपी ने कहा कि हर घंटे मुझे वाट्सएप्प पर लिखकर भेजोगे आईएम सेफ। उसने सभी खातों व एफडी की डिटेल मांगी। आपके खातों में जितने भी रुपए हैं, वह रिर्जव बैंक भेजने हैं। जिसकी जांच होगी, जांच के बाद सभी रुपए वापस जमा हो जाएंगे।

इसी दबाव में आकर पीड़ित ने 17 दिसंबर को नवलगढ़ में स्थित एयू स्मॉल बैंक में गया और एफडी को तुड़वाया। इसके बाद खाते में 15.87 लाख रुपए हो गए। इस बैलेंस की जानकारी आरोपी को दी। 18 दिसंबर को आरोपी के खाते में 15 लाख 10 हजार रुपये आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर किए। इसके बाद प्रदीप ने अपने झुंझुनूं केंद्रीय सहकारी बैंक के खाते से ठगों के एसबीआई बैंक खाते में 6 लाख रुपए ट्रांसफर करवाए।

इसके बाद भी ठगों ने प्रदीप को लगातार डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसाया रखा। 22 दिसंबर को प्रदीप ने अपने एसबीआई बैंक खाते से ठगों द्वारा बताए गए कोटक महिंद्रा खाते में 5.80 लाख रुपए ट्रांसफर करवा दिए। इस प्रकार ठगों के जाल में फंसे प्रदीप  गड़ोदिया ने 8 दिन में कुल 26.90 लाख रुपए गंवा दिए।

ट्रांजेक्शन की ईमेल बेटी सुचिता के पास आने पर हुआ ठगी का खुलासा

सूचिता ने मेल आते ही पिता को फोन किया और रुपए ट्रांसफर करवाने के बारे में पूछा तो मुकदमे में फंसने के डर से नहीं बताया। इसके बाद अगले दिन पीडित के परिवार के सदस्य नवलगढ़ पहुंचे और मंगलवार को पुलिस थाने में ऑनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज करवाया।

प्रदीप सिंगड़ोदिया द्वारा नवलगढ़ पुलिस थाने में दी गई रिपोर्ट के अनुसार प्रदीप सिंगड़ोदिया अपने पुत्र राहुल के पास अजमेर गया हुआ था। इसी दौरान उसके पास 15 दिसंबर 2025 को साईबर ठग का पहला फोन आया। आरोपी ने चार अलग-अलग मोबाइल नंबरों को उपयोग किया व तीन बैंक खातों में यह राशि डलवा ली।

सीआई नवलगढ़ अजय सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल, व्हाट्सएप मैसेज, फर्जी अधिकारी बनकर धमकाने या डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों से सावधान रहें और तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन पर सूचना दें।