{"vars":{"id": "127470:4976"}}

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर व स्व भगवान दास किराड़ू ' नवीन ' प्रन्यास का संयुक्त आयोजन

 

RNE Network.

राजकीय डूंगर महाविद्यालय में सहायक आचार्य व आलोचक डॉ रमेश पुरी ने कहा कि भारत में लगभग 50 फीसदी लोगों की प्रथम भाषा हिंदी है। वहीं दुनिया मे बोलने वालों की दृष्टि से हिंदी तीसरे नम्बर की भाषा है।

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर व स्व भगवान दास किराड़ू ' नवीन ' प्रन्यास की तरफ से संयुक्त तत्वावधान में सुदर्शना कुमारी कला दीर्घा में आयोजित हिंदी दिवस पखवाड़े के तहत संगोष्ठी ' हिंदी का समकाल ' में व्याख्यान देते हुए आलोचक डॉ रमेश पुरी ने कहा कि भारत की हर भाषा राष्ट्रीय भाषा है, उन सब का सम्मान है। हिंदी हमारी सम्पर्क भाषा बने, उसके लिए सभी भारतीय भाषाओं का भी सम्मान जरुरी। उन्होंने हिंदी की विशालता को रेखांकित करते हुए कहा कि भाषाई उपनिवेशवाद से हमें नुकसान होगा। उससे हमें बचना है। डॉ पुरी ने अपने व्याख्यान में कहा कि हिन्दीवक भविष्य उज्ज्वल है। उसके लिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। 
 

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने कहा कि हिंदी को देश ने अब अपनी राजभाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में अपना लिया है। इसके सामने मगर अब भी चुनोतियां कम नहीं हुई है। सोशल मीडिया अब भी एक बड़ी चुनोती बना हुआ है। इन सबके बीच यदि देखें तो हिंदी का समकाल आशा जरूर जगाता है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्यकार मधु आचार्य ' आशावादी ' ने कहा कि जब तक राजस्थानी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत नहीं किया जाएगा तब तक हिंदी का पूर्ण विकास संभव नहीं। हिंदी का कोई प्रदेश नहीं, लोक नहीं। इस कारण राजस्थानी, भोजपुरी, भुटी, बुलदेलखण्डी आदि भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देकर हिंदी को मजबूत करना चाहिए। आचार्य ने भाषाओं के उपनिवेशवाद पर भी चिंता जताई।

स्वागत भाषण साहित्यकार नगेन्द्र नारायण किराड़ू ने दिया तो धन्यवाद मोहम्मद फारूक रजा ने ज्ञापित किया। संचालन कवि, कथाकार संजय पुरोहित ने किया। आयोजन में ब्रजरतन जोशी, असित गोस्वामी, राजेन्द्र जोशी, गौरीशंकर प्रजापत, जागृति भोजक, ऋषिकेश पुरोहित, योगेंद्र पुरोहित, इरशाद अजीज, कासिम बीकानेरी, अरविंद भादानी, सुरेश हिंदुस्तानी, अरमान नदीम, इमरोज नदीम आदि उपस्थित थे।