{"vars":{"id": "127470:4976"}}

राजस्थानी के प्रेमचंद करणीदान बारहठ को समर्पित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

करणीदान बारहठ राजस्थानी के प्रेमचन्द - प्रोफेसर किशोरीलाल रैगर

 

RNE Network.

करणीदान बारहठ समय एवं समाज के यथार्थ को उजागर करने वाले एक कालजयी रचनाकार है जिन्होंने अपने सृजन में नारी समाज को नर से भी ज्यादा सम्मान दिया है। असल में करणीदान बारहठ का साहित्य नारी स्वाभिमान का पर्याय है। यह विचार ख्यातनाम कवि-आलोचक डाॅ.मंगत बादल ने साहित्य अकादेमी, रम्मत संस्थान एवं राजस्थानी विभाग द्वारा आयोजित  करणीदान बारहठ जलमसदी  राष्ट्रीय राजस्थानी संगोष्ठी के समापन समारोह में व्यक्त किए।

संगोष्ठी संयोजक डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने बताया कि समापन समारोह में अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रोफेसर (डाॅ.) किशोरीलाल रैगर ने कहा कि करणीदान बारहठ ने अपनी  रचनाओं में समाज के वंचित, पीड़ित एवं शोषित वर्ग को महत्व देकर तथा अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ लडकर अपने साहित्यिक कर्तत्व का पालन किया है। उन्हें राजस्थानी साहित्य का मुंशी प्रेमचन्द कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नही है। राजस्थानी विभागाध्यक्ष   डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने समापन सत्र का संयोजन करते हुए करणीदान बारहठ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समाहार प्रस्तुत करते हुए सभी का आभार ज्ञापित किया।  

 
राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रतिष्ठित रचनाकार डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित एवं डाॅ.राजेन्द्र बारहठ की अध्यक्षता में दो तकनीकी सत्र सम्पन्न हुए। इन सत्रों में करणीदान बारहठ की साहित्य साधना पर डाॅ. शिवराज भारतीय, हरीश बी. शर्मा, डाॅ.प्रकाशदान चारण एवं राम पंचाल ने अपने महत्वपूर्ण आलोचनात्मक शोध-आलेख प्रस्तुत किये। सत्रों को संयोजन डाॅ.जितेन्द्रसिंह साठिका एवं डाॅ.रामरतन लटियाल ने किया।

संगोष्ठी के प्रारम्भ में ख्यातनाम कवि आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण द्वारा  मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। राजस्थानी विभाग द्वारा राजस्थानी परम्परा अनुसार सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया गया। इस अवसर पर, प्रोफेसर (डाॅ.) सोहनदान चारण, प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण, मधु आचार्य, रामस्वरूप किसान, पद्मजा शर्मा, डाॅ. सुमन बिस्सा, डाॅ. मीनाक्षी बोराणा, डाॅ. चांदकौर जोशी, बसन्ती पंवार, मीठेश निर्माेही, डाॅ. प्रवीणचन्द, डाॅ. मदनसिंह राठौड़,, भंवरलाल सुथार,डाॅ. भवानीसिंह पातावत, गिरधरगोपाल सिंह भाटी, डाॅ. किरण बादल, संतोष चैधरी, सुंधाशु बोरावड़, कृष्ण कुमार आशु, माधव राठौड़, गणपत चैधरी डाॅ. भीवसिंह राठौड, संग्रामसिंह सोढ़ा, खेमकरण लालस, श्रवणराम भादू, सुधा शर्मा, पूनम सरावगी, जगदीश कुमार सरावगी, अरूण बोहरा, महेश चन्द्र माथुर, दीपक भट्नागर, अरविन्द कुमार, डाॅ. लटियाल,डाॅ. अमित गहलोत, डाॅ. सवाईसिहं, तरनीजा मोहन राठौड़, डाॅ. जितेन्द्र साठका, रामकिशोर फिडोदा, मुकेश कुमार स्वामी, डाॅ. कप्तान बोरावड, माधुसिंह, विष्णुशंकर, रविन्द्र माथुर, जगदीश, मगराज, नरेन्द्रसिंह, शान्तिलाल सहित विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, राजस्थानी रचनाकार, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।