'धरती धोरां री' के रचयिता कन्हैयालाल सेठिया को 106वीं जयंती पर किया याद
Sep 11, 2025, 16:33 IST
RNE NETWORK.
राजस्थानी भाषा-साहित्य के ख्यातनाम कवि पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की 106वीं जयंती पर ज.ना. व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग द्वारा उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर राजस्थानी काव्य पर साहित्यिक चर्चा का आयोजन किया गया।
कला संकाय अधिष्ठाता प्रोफेसर (डाॅ.) मंगलाराम बिश्नोई ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि कन्हैयालाल सेठिया आधुनिक राजस्थानी के एक महान कवि थे जिन्होंने राजस्थानी कविता को विश्व स्तर पर एक नई पहचान दी। मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) कौशलनाथ उपाध्याय ने कन्हैयालाल सेठिया के गीति काव्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वो एक जनकवि थे जिनकी कविताएं आज भी लोक के कंठों में रची-बसी है। इस अवसर पर उन्होंने सेठियाजी की राजस्थानी कविताओं का वाचन भी किया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर (डाॅ.) रामबक्श ने अपने उदबोधन में सेठिया के समग्र साहित्य पर आलोचनात्मक दृष्टि से विचार व्यक्त करते कहा कि वो आध्यात्म एवं दर्शन के कवि थे। उन्होनें श्री सेठिया द्वारा रचित लोकप्रिय बोधगीत ' धरती धोरां री ' को विस्थापन के दर्द का सौन्दर्य बताकर नई दृष्टि से परिभाषित किया।
राजस्थानी विभागाध्यक्ष डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने कन्हैयालाल सेठिया के राजस्थानी काव्य का विवेचन करते हुए कहा कि वो एक अद्भुत कवि है जिनके काव्य में सम्पूर्ण राजस्थान बोलता है। सहायक आचार्य डाॅ.मीनाक्षी बोराणा ने सेठिया के काव्य में सांस्कृतिक पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि राजस्थानी संस्कृति के पर्याय थे। शोधार्थी विष्णुशंकर ने कन्हैयालाल सेठिया के काव्य में धरती प्रेम को उजागर करते हुए कहा कि वौ माटी की सौरम के कवि थे।
साहित्यिक चर्चा से पूर्व मौजूद अतिथियों एवं राजस्थानी विभागाध्यक्ष द्वारा कन्हैयालाल सेठिया के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन एवं उनकी ग्रंथावली का पूजन किया गया। प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने अतिथियों का स्वागत-सत्कार किया। कार्यक्रम में अंत में नरेन्द्र सिंह देवड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन माधोसिंह भाटी ने किया। इस अवसर पर शांतिलाल मामा, जगदीश मेघवाल, मगराज सहित अनेक शोध-छात्र एवं विधार्थी मौजूद रहे।