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भाजपा व कांग्रेस में सीधा है मुकाबला, चुनाव प्रबंधन की रहेगी भूमिका, कांग्रेस को करनी होगी मेहनत

 
आरएनई,बीकानेर।  लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कल भाजपा की तरफ से केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने चौथी बार अपना नामांकन दाखिल कर दिया। उनकी नामांकन सभा में उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सी पी जोशी शामिल हुवै। कल ही कांग्रेस के प्रत्याशी गोविंद मेघवाल ने भी अपना पर्चा दाखिल किया। उनकी नामांकन सभा में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा शामिल हुवै। दोनों ने नामांकन सभा के जरिये अपना शक्ति प्रदर्शन किया। कल ये तो स्पष्ट हो गया कि बीकानेर सीट पर भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला है, यहां त्रिकोणीय संघर्ष नहीं। भाजपा के अर्जुनराम मेघवाल की सभा में इस सीट के तहत विधानसभा चुनाव जीते सभी 6 विधायक उपस्थित थे। महापौर सुशीला कंवर भी साथ थी। कांग्रेस के गोविंद मेघवाल के साथ जीते हुए दोनों विधायक थे। विधानसभा चुनाव में बीकानेर में कांग्रेस की बुरी हार हुई थी। हार से हताश नेताओं व कार्यकर्ताओं को गोविंद मेघवाल ने फिर से सक्रिय करने का प्रयास पिछले 4 दिन में किया था, उसका कुछ असर तो देखने को मिल रहा था। माकपा भी नामांकन सभा में साथ दिखी। श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक गिरधारी महिया लाल झंडे के अपने समर्थकों के साथ दिखे। शहरी क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्र बीकानेर पश्चिम व बीकानेर पूर्व के लोग सभाओं को देखने आये मगर चुप थे। मोदी इफेक्ट का असर कहीं भीतर था, मगर वे मौन थे। इस संसदीय सीट पर जाट मतदाताओं का बाहुल्य है जो अभी तक स्थिति देख रहा है। हनुमान बेनीवाल के साथ हुवै समझौते का लाभ कांग्रेस को श्रीकोलायत, श्रीडूंगरगढ़, लूणकरणसर में क्या रहता है, उसका भी चुनाव पर असर पड़ेगा। ये भविष्य के गर्भ में छिपा है। अगर कांग्रेस के 6 सीटों पर हारे उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव को अपने विधानसभा चुनाव की तरह नहीं लड़ा तो फिर परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अब तक के चुनावी इतिहास में तो लोकसभा व विधानसभा चुनाव के वोटों में दोनों ही पार्टियों में अंतर आता रहा है। वो अंतर ही जीत हार के समीकरण बदलता है। बीकानेर लोकसभा का क्षेत्र बड़ा है। इसलिए चुनाव प्रबंधन परिणाम पर बड़ा असर डालेगा। पूरे क्षेत्र के अपने कार्यकर्ताओं की सक्रियता व नेताओं से तालमेल ही प्रबंधन को सुदृढ करता है। इस काम में जो सफल रहेगा, वो आगे रहेगा। पार्टी का संगठन इसमें मुख्य भूमिका निभाता है। इस समय में सोशल मीडिया प्रचार का बड़ा माध्यम है और वो चुनाव को प्रभावित करता है। भाजपा ने इस पर कवायद एक महीने पहले शुरू कर दी थी। जिसका मुकाबला कांग्रेस मजबूत टीम बनाकर ही कर सकती है। कुल मिलाकर इस सीधे मुकाबले में चुनावी रंगत अब बनने लग गई है। लोगों की रुचि भी चुनाव को लेकर जागृत हो चुकी है। मौन मतदाता को मुखरित करने का काम जो उम्मीदवार कर लेगा, वो कुछ कमाल करेगा। चुनाव ज्यों ज्यों आगे बढ़ेगा, तस्वीर भी साफ होती जायेगी। -- मधु आचार्य ' आशावादी '