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Haryana weather update : हरियाणा में पश्चिम विक्षोभ पड़ा कमजोर, कोहरे ने लिया अपनी चपेट में 

मौसम विशेषज्ञ ने बताया कि पिछले एक महीने से लगातार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं।
 

हरियाणा में लगातार शुष्क बना हुआ है और आने वाले दिनों में भी इसके शुष्क बने रहने की संभावना है। पूरे इलाके में दिन और रात के तापमान में उतार-चढ़ाव जारी है। अचानक ही हरियाणा के अधिकतर जिलों को कोहरे ने अपने चपेट में ले लिया है।  मौसम विशेषज्ञ ने बताया कि पिछले एक महीने से लगातार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं।

इनका असर उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी और बारिश के रूप में दिख रहा है, जबकि मैदानी राज्यों में केवल आंशिक बादलवाही ही देखने को मिल रही है। इन्हीं मौसम प्रणालियों के कारण हवाओं की दिशा में बदलाव होता है, जिससे तापमान में कभी उछाल तो कभी गिरावट दर्ज की जा रही है। कमजोर विक्षोभों के सक्रिय होने से ठंड के तेवर भी ढीले पड़ गए हैं।

मौसम पूर्वानुमान

20 दिसंबर तक :  मौसम आमतौर पर शुष्क रहेगा।
वर्तमान स्थिति :  कमजोर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से आंशिक बादलवाही है, जिससे दिन के तापमान में गिरावट और रात के तापमान में बढ़ोतरी हुई है।
 धुंध कोहरा :  हल्की नमी पहुंचने के कारण सुबह के घंटों में कहीं-कहीं गहरी धुंध-कोहरे की संभावना है। आगे का बदलाव: कल रात को मौसम प्रणाली आगे निकल जाएगी और उत्तरी हवाओं के कारण रात्रि तापमान में हल्की गिरावट देखने को मिलेगी, यानी तापमान में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। 

धुंध या कोहरे ने लिया चपेट में 

वातावरण में नमी न होने और बारिश न होने के कारण हरियाणा धुंध या कोहरे का प्रकोप बढ़ गया है। कोहरा रबी की फसलों के लिए महत्वपूर्ण होता है। हल्की बादलवाही से किसान बारिश की संभावना लगा लेते हैं, लेकिन 20 दिसंबर तक कोई बारिश की संभावना नहीं है। किसानों को सलाह है कि वे मौसम को देखते हुए अपनी कृषि फसलों में सिंचाई की गतिविधियां जारी रखें। अभी दिन में तेज धूप व रात को ठंड भी कम हुई है, जिससे गेहूं व सरसों में फुटाव में समस्या भी रहेगी।

खांसी-जुकाम व गले में खराश के बढ़े मरीज

चिकित्सकों के अनुसार वैसे तो सर्दी के इस समय को हेल्दी सीजन माना जाता है, लेकिन इस समय मौसम में चल रहे उतार-चढ़ाव के कारण दिन में धूप निकल रही है। जिससे लोग सेहत को लेकर कुछ लापरवाही भी बरतते हैं। ऐसे मेंइस समय खांसी-जुकाम व गले में खराश के पीड़ित ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए मेडिसिन, चाइल्ड व गले की ओपीडी ज्यादा होती है। चिकित्सकों ने इस मौसम में लापरवाही नहीं बरतने की सलाह दी है।