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weather update : इस बार हाड़ जमाने वाली ठंड होगी, दो माह पहले ही हिमालय बर्फ में ढंका

ऊपर से दिसंबर में ला नीना सक्रिय हो रहा है, जो बर्फबारी और ठंड को और बढ़ा देगा। हरियाणा में अब रातें और ठंडी होंगी। भारी बारिश व जलभराव के कारण नमी खूब है। रात का पारा 24 घंटे में 0.4 डिग्री तक कम हो गया है।
 

सर्दी के इस मौसम में हाड़ जमाने वाली ठंड पड़ने वाली है। इस बार मैदानी इलाकों में तापमान काफी नीचे जाने वाला है। इसके कारण ठंड का प्रकोप ज्यादा रहेगा। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उच्च हिमालय का 86 प्रतिशत हिस्सा समय से दो महीने पहले ही बर्फ से ढंक गया है। बीते दिनों आए वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण पूरे हिमालय पर तापमान 2 से 3 डिग्री कम बना हुआ है।

इस वजह से ताजा बर्फबारी फिलहाल पिघल नहीं रही। यह अच्छा संकेत है। ऊपर से दिसंबर में ला नीना सक्रिय हो रहा है, जो बर्फबारी और ठंड को और बढ़ा देगा। हरियाणा में अब रातें और ठंडी होंगी। भारी बारिश व जलभराव के कारण नमी खूब है। रात का पारा 24 घंटे में 0.4 डिग्री तक कम हो गया है। हिसार और गुरुग्राम में रात का पारा 15.7 डिग्री पर आ गया है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले एक सप्ताह में पारा और कम होगा। यानी दिन-रात के तापमान में दिवाली के बाद और कमी आ सकती है, जबकि 20 अक्टूबर तक मौसम खुश्क रहेगा। पहाड़ों में हाल में हुई बर्फबारी का असर भी मैदानी इलाकों में होगा। अमूमन दिसंबर में ही हरियाणा में ठंड गहराती है, लेकिन अबकी बार यह 15 दिन एडवांस गहरा सकती है।

वाडिया इस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष मेहता के मुताबिक, ला नीना प्रशांत महासागर की तरह के तापमान के सामान्य से ठंडा होने की एक मौसमी घटना है। इसके कारण भारत में अच्छी बारिश और ज्यादा ठंड पड़ती है। उच्च हिमालय यानी 4 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में औसत तापमान माइनस 15 डिग्री या उससे भी कम रहता है।

ला नीना के कारण इस बार उत्तर, मध्य और पूर्वी भागों में औसत तापमान 3-4 डिग्री तक और गिर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो दिसंबर 2025 की ठंड बीते 110 साल में तीसरी बार सबसे ठंडी होगी। इससे पहले 1917 और 1962 में औसत पारा सामान्य से 3.8 डिग्री तक गिरा था।

नेपाल से लेकर कश्मीर तक एक ही नजारा, बर्फ का कैचमेंट भी बढ़ा

डॉ. मेहता के मुताबिक ताजा बर्फबारी ने ग्लेशियरों की सेहत दुरुस्त होने के भी शुभ संकेत दिए हैं। उच्च हिमालय पर तापमान कम होने के चलते इस बार बर्फ पिघल नहीं रही। इससे ग्लेशियर 5 साल के लिए रिचार्ज हो जाएंगे। पूरे उत्तर भारत की नदियों के स्रोत नहीं सूखेंगे। सिक्किम, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल से लेकर नेपाल तक पूरे उच्च हिमालय पर सफेद बर्फ की चादर बिछी हुई है। बर्फ का कैचमेंट एरिया भी बढ़ गया है। इसी वजह से मध्य और निम्न हिमालयी क्षेत्रों व मैदानों में अक्टूबर से ही पारा गिरने लगा है।

दुनिया का औसत तापमान 122 साल में 0.99 डिग्री बढ़ा, अब घट रहा

वैज्ञानिक आंकड़े बताते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप का औसत सतही तापमान पिछले 122 वर्षों में 0.99 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, लेकिन 2025 के आखिर तक यह वृद्धि अस्थायी रूप से उलट जाएगी, क्योंकि ला नीना के कारण वैश्विक औसत तापमान 0.2 डिग्री तक गिरने की संभावना है।