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Western Disturbance : पश्चिमी विक्षोभ कमजोर होने से नहीं होंगी बारिश, अब सूखी ठंड रहेगी जारी 

कमजोर और हल्के पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के अत्यंत ऊपरी हिस्सों से गुजर रहे हैं। इनके साथ या तो कोई मौसम गतिविधि नहीं हो रही, या फिर असर केवल ऊंचे पहाड़ी इलाकों तक सीमित है।

 

उत्तर भारत में कड़ाक का ठंड तब बढ़ती है जब सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश कराते हैं। लेकिन इस बार ऐसे सिस्टमों की काफी कमी रही है। इसलिए सूखी ठंड जारी है। कमजोर और हल्के पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के अत्यंत ऊपरी हिस्सों से गुजर रहे हैं। इनके साथ या तो कोई मौसम गतिविधि नहीं हो रही, या फिर असर केवल ऊंचे पहाड़ी इलाकों तक सीमित है। इस वजह से मैदानों खासकर प्रदेश में हल्की-फुल्की उठापटक हो रही है, पर इतनी नहीं कि शीतलहर जैसी स्थिति बन सके।

पानीपत की स्थिति की बात की जाए तो दिन व रात दोनों ही तापमान में परिवर्तन देखने को मिला है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जबकि न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

कोहरे की दूसरे पखवाड़े में दस्तक देने की संभावना बनी

ठंड अब अपना असर दिखाने लगी है। इस बार अब तक कोहरा नहीं दिखा है। जो थोड़ा बहुत कोहरा दिखता है वह सुबह के समय प्रदूषण और विषाक्त कणों की वजह से ऐसा मौसम दिख रहा है। लेकिन इस बार सर्दियों वाला कोहरा गायब है और इसकी वापसी की उम्मीद भी फिलहाल कम है। पश्चिमी विक्षोभसक्रिय न होने की वजह से मध्य दिसंबर के बाद तक बारिश की संभावना नहीं है। ऐसे में हवा में नमी भी कम रहेगी और वह घना, नमी वाला ठंडा मौसम अभी बनता नहीं दिख रहा। आने वाले कुछ दिनों में निचले स्तरों पर हवा की रफ्तार औसत से ज्यादा रहेगी। इससे चिल फैक्टर (ठंड का असर) बना रहेगा।
 

पश्चिमी विक्षोभ से बदल रहा वायुमंडलीय पैटर्न, ठंड बढ़ने के आसार

पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने से पश्चिम और मध्य राजस्थान में बना सीजनल एंटीसाइक्लोन दक्षिण की ओर खिसक गया है। इसके अलावा, उत्तरी मैदान के ऊपर रात के समय नाक्टर्नल जेट तेज हो रहा है। अगले 48 घंटों में ठंड का असर और बढ़ सकता है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के संयोजक डा. सतपाल सिंह के मुताबिक गेहूं की फसल के लिए यह ठंड बहुत ही लाभकारी साबित होगी। जितनी अधिक ठंड होगी गेहूं की फसल के लिए बेहतर होगी।