Skip to main content

आपसी टकराहट को समाप्त करने का सुगम रास्ता निकला, तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय का फार्मूला

  • एक राय बनने ने बाधा वाले नेताओं को चुप कराया

अभिषेक आचार्य

RNE Bikaner.

शहर भाजपा अध्यक्ष पद को इस बार आरम्भ से ही बीकानेर के भाजपा नेताओं में टकराहट सामने आ गई थी। सत्ता में आ जाने के कारण संगठन का ये पद खासा महत्त्वपूर्ण हो गया था, इस कारण नेता इस पर अपने ही व्यक्ति को लाने की जुगत में लग गये। जब सबकी अपनी चाह होती है तो एक राय बनना भी टेढ़ी खीर होती है। टकराहट ही सम्भव है, वही हुई। जिस कारण विवाद के जिलों में बीकानेर भी शुमार हो गया।

विधायकों की राय एक नहीं थी:

सत्य यही है कि बीकानेर पश्चिम व पूर्व के विधायक एक नाम पर सहमत ही नहीं हो रहे थे। उसकी भी खास वजह थी। ये विधायक किसी को पसंद करने से ज्यादा किन्ही नामों को नापसंद कर रहे थे और चाहते थे कि ये नेता लोग अध्यक्ष न बने। इस तरह की चाहत व पसंद राजनीति में ही सम्भव है।

सूत्र बताते हैं कि जिन नामों पर विधायकों को एतराज था, उसकी विगत भी इन्होंने प्रदेश नेतृत्त्व तक पहुंचाई। इनके समर्थक भी सरेआम उन नामों का विरोध करते नजर आये। कुछेक ने तो सोशल मीडिया पर भी इशारों में अपनी बात रखी।

अर्जुन का राजनीतिक धैर्य:

जाहिर है, अध्यक्ष के चयन में सांसद व केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को नजरअंदाज किया ही नहीं जा सकता था। वे इस विषय मे धैर्य के साथ चलने वाली हर गतिविधि को देखते रहे। टिप्पणी कुछ भी नहीं की। उनके इस धैर्य के कारण ही दूसरे पक्ष की भावनाएं खुलकर सामने आ गई। उन पर भी सांसद ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

अपने राजनीतिक वजूद व बड़े कद का उन्हें पता है, इसके बाद भी वे प्रतिक्रिया में कुछ नहीं बोले। धैर्य से हालात का मूल्यांकन करते रहे। यदि को दूसरा उतावलेपन का राजनेता होता तो तुरंत रिएक्शन में आ जाता और अपनी बात मनवाने के लिए अड़ जाता। मगर सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने गजब का राजनीतिक धैर्य दिखाया। न बोले, न किसी को कुछ कहा, स्वभाव के अनुसार मुस्कुराते रहे। हालात का मूल्यांकन करते रहे।

अर्जुन का मास्टर स्ट्रोक:

अंतिम समय मे सांसद व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक लगाया कि सभी चकित हो देखते रह गये। वे किसी विवाद में नहीं पड़े। पार्टी लाइन को मानने का निर्णय ले लिया। ये बड़ी सफल राजनीति का परिचायक था। अपने समर्थकों की टकराहट, दूसरे पक्ष से आमना – सामना भी वे टाल गये। वो भी करीने से। तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय का फार्मूला सही सिद्ध हो गया। समर्थक भी नाराज नहीं हुए। दूसरे पक्ष की भी नहीं चली और पार्टी संगठन में एक नया इतिहास लिखने का काम सांसद ने कर दिया।

पार्टी में पहली बार कोई महिला शहर अध्यक्ष बनी है, यह उपलब्धि अर्जुन के खाते में गई है। जिससे पार्टी नेतृत्त्व भी खुश हुआ है। संघ पृष्ठभूमि की महिला नेता को अध्यक्ष बना सांसद ने अपने राजनीति के विस्तार वाले सोच को भी पुष्ट कर दिया। कोई नाराज नहीं, किसी की हार या जीत नहीं, कुछ भी गलत नहीं, सब ठीक ठाक और इतिहास गढ़ने वाला काम। सच में अर्जुन का मास्टर स्ट्रोक सबको चित कर गया।