Skip to main content

कविता के स्वर परख सुधा आचार्य बोली-भाव, भाषा, संवेदना की त्रिवेणी बही

  • हरीश बी.शर्मा, राजेंद्र जोशी ने युवा कवियों का हौसला बढ़ाया

RNE Bikaner.

“एक सलटे तो दुजी बोले उतर भीखा म्हारी बारी” एवं “बो पाणी मुलतान नीसरगग्यौ तिरसे म्हारा पाना कोरा” राजस्थानी कविता के ये स्वर किसी ख्यातनाम वरिष्ठ कवि के नहीं वरन युवा कवयित्री सुधा सारस्वत के हैं। ध्यान खींचने वाली ऐसी ही कविताओं में सुधा सारस्वत ने “बोली रा घाव” “पीड़ किताब री” आदि कविताएं सुना कर ध्यान खींचा।

ध्यानकर्षण अकेले सुधा ने किया हो ऐसा नहीं है। रोशन बाफना ने मरदानगी की परिभाषा अपने शब्दों में बताते हुए “जै ओ ई है, मरदानगी रो पैमानो तो, हां, है मरद हुवण सूं भी इणकार” सुनाकर सोचने को मजबूर कर दिया। उन्होंने पगबंधणी, पटराणी, रेत रा सैनाण, औळभा री अकुरड़ी, पतियारो,आसा रा सुपणा आदि कविताएं सुनाई।

बारी युवा कवि पुनीत रंगा की आई तो वे “मिनखपणे” की बात करने के साथ ही कविता में आज के यथार्थ को उतार लाये। कहा “अबै मिनख घूमै है मोबाइल सागै, एक खतरनाक हथियार सागै।” रंगा ने पत्ता, खोज मिनखपणै री, कुहप री काया मोबाइल, रेत ई दीवी समझ, टाबर एवं छोड़ मिनखपणौ जैसी कविताओं पर ध्यान खींचा।

दरअसल यहां बात हो रही है सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर की ओर से हुए “युवा कविता के स्वर” कार्यक्रम की। इस कार्यक्रम में युवा कवियों के स्वर की परख का जिम्मा कवयित्री डॉक्टर सुधा आचार्य को दिया गया था। वे बोली, आज के कवियों की सृजन धर्मिता के अनेक आयाम हमारे सामने प्रकट हुए है। लगा कि भाव, भाषा, संवेदनाओं की त्रिवेणी बही है। कह सकती हूं कि राजस्थानी साहित्य का भविष्य उज्जवल है।

मुख्य अतिथि साहित्यकार-पत्रकार हरीश बी.शर्मा ने कहा, युवा राजस्थानी कविता समय की मांग और नए बिम्ब प्रस्तुत करती नजर आती है। यह कविता पेड़िया चढ़ती हुई नूंवी अबोट है, उतनी ही जुनी परंतु जीवन मूल्य की रखवाली भी करती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा, राजस्थानी कविता अन्य भारतीय भाषाओं के समकक्ष खड़ी होकर समाज को भरोसा और विश्वास दिलाती है। यह प्राचीन संदर्भों के साथ आधुनिकता की प्रतिस्पर्धा में बेहतरीन आधुनिक राजस्थानी कविता बन पड़ती है।

साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने भी संबोधित किया। युवा कवियों को स्मृति चिह्न एवं नगद राशि देकर सम्मानित किया। संचालन कवि विपल्व व्यास ने किया।

कार्यक्रम में अब्दुल शकूर सिसोदिया, रवि पुरोहित, कमल रंगा, सुमित शर्मा,बी. एल.नवीन, जितेन्द्र भाटी, जुगल किशोर पुरोहित, महेश उपाध्याय, एडवोकेट गंगा बिशन बिश्नोई, महेंद्र जोशी, मंजू सारस्वत आदि मौजूद रहे।