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ASER : देश के 03 लाख घरों से 06 लाख बच्चों के अध्ययन की रिपोर्ट उम्मीद जगाने वाली
एएसईआर (असर) रिपोर्ट 2024ः उम्मीद की किरण
क्या है असर (एएसईआर) (Annual Status of Education Report)
2005 से शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम फाउण्डेशन द्वारा असर रिपोर्ट यानी ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट भारत में हर साल आने वाली शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) जारी की जाती है।. बेसिक एसआईआर सर्वेक्षण 3-16 वर्ष की आयु के बच्चों के नामांकन को ट्रैक करता है और 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों के बुनियादी पढ़ने और अंकगणित का आकलन करता है। यह भारत के लगभग सभी ग्रामीण जिलों में 2005 से 2014 तक हर साल आयोजित किया गया था। 2016 की शुरुआत में, एक वैकल्पिक वर्ष मॉडल पेश किया गया था, जहाँ एएसईआर सर्वेक्षण वैकल्पिक वर्षों में आयोजित किया जाता है और अंतराल वर्षों में, विभिन्न आयु समूहों और/या बच्चों के सीखने के नए पहलुओं की जाँच करने के लिए एक अलग लेंस का उपयोग किया जाता है। यह रिपोर्ट, देश के ग्रामीण इलाकों में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति का पता लगाने के लिए तैयार की जाती है. यह रिपोर्ट, नागरिकों के नेतृत्व में आयोजित की जाने वाली सबसे बड़ी वार्षिक सर्वेक्षण होता है।
क्या डिजाईन है इस सर्वे काः
एएसईआर के अन्तर्गत स्कूल-आधारित सर्वेक्षण के बजाय घर-आधारित सर्वेक्षण किया जाता है। एसआईआर का दावा है कि उनका डिजाइन सभी बच्चों को शामिल करने में सक्षम बनाता है इसमें उन सभी बच्चो को शामिल किया जात है जो कभी स्कूल नहीं गए या स्कूल छोड़ दिया। साथ ही सरकारी स्कूलों, निजी स्कूलों, या अन्य प्रकार के स्कूलों के बच्चों को शामिल किया जाता है। असर द्वारा अपनी वेबसाईट में उल्लेखित किया गया है कि बेसिक एएसईआर डिजाइन में, हर ग्रामीण जिले में सबसे हाल की जनगणना गांव निर्देशिका से 30 गांवों का नमूना लिया जाता है। हर गांव में, 20 यादृच्छिक रूप से चुने गए घरों का सर्वेक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया से हर जिले में कुल 600 घर या पूरे देश के लिए लगभग 300,000 घर बनते हैं। इन घरों में रहने वाले 3-16 वर्ष की आयु के लगभग 600,000 बच्चों का सर्वेक्षण किया जाता है।
कैसे किया जाता है एएसईआर का सर्वेः
प्रथम फाउंडेशन द्वारा स्थापित एसआईआर केंद्र द्वारा समन्वय किया जाता है। इस सर्वेक्षण हेतु प्रत्येक जिले में स्थानीय भागीदार संगठनों के लगभग 30,000 स्वयंसेवक सर्वेक्षण करते हैं। एसआईआर के साथ कई अलग-अलग तरह की संस्थाएं भागीदारी निभाती हैं। इस हेतु कॉलेज, विश्वविद्यालय, गैर सरकारी संगठन, युवा समूह, महिला संगठन, स्वयं सहायता समूह और अन्य कार्यकर्ता इसे फील्ड स्तर पर संपादित करते हैं।
- बेसिक एएसईआर सर्वेक्षण के लिए सैंपल किए गए घरों में रहने वाले 3-16 आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र की जाती है। 5-16 आयु वर्ग के बच्चों को बुनियादी पढ़ने और बुनियादी अंकगणित में परीक्षण किया जाता है। नामांकन स्थिति, आयु या ग्रेड की परवाह किए बिना सभी बच्चों को एक ही परीक्षा दी जाती
- रीडिंग टेस्ट का उच्चतम स्तर ग्रेड 2-स्तर का पाठ है। अंकगणित में, उच्चतम स्तर 3-अंकों से 1-अंकों का भाग देने वाली समस्या है, जिसे आमतौर पर ग्रेड 3 या ग्रेड 4 में पढ़ाया जाता है।
- इसके अलावा, हर साल बुनियादी घरेलू जानकारी एकत्र की जाती है। हाल के वर्षों में इसमें परिवार का आकार, माता-पिता की शिक्षा और घरेलू संपत्तियों की कुछ जानकारी शामिल की की जाती है।
- प्रत्येक नमूना गांव में सबसे बड़े सरकारी प्राथमिक विद्यालय का दौरा किया जाता है और स्कूल के बुनियादी ढांचे, नामांकन, उपस्थिति, शिक्षकों और निधि प्रवाह के बारे में जानकारी एकत्र की जाती है। 2010 से, शिक्षा के अधिकार (RTI) के कुछ संकेतकों पर भी जानकारी एकत्र की जाती है।
एएसईआर 2024 सर्वे का सैम्पलः
इस सर्वे देश के 29 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 605 जिलों के 17997 गांव, 15728 विद्यालय और 6,49,491 बच्चों को सम्मिलित किया गया है। राजस्थान में इस सर्वे में 33 जिलों के 988 गांवों में 39,625 बच्चों पर सर्वे किया गया है। असर 2024 सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्षों को तीन समूहों में प्रस्तुत किया गया है. इसमें पूर्व प्राथमिक (6 वर्ष से कम), प्राथमिक (आयुवर्ग 6-14) और बड़े बच्चे (आयुवर्ग 15-16) शामिल हैं।
एएसईआर 2024 के राष्ट्रीय स्तर के मुख्य निष्कर्षः
1.नामांकन:
- 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो कि प्री-स्कूल या आंगनवाड़ी में नामांकित है उनमें 3 वर्ष की आयु के 77.4 प्रतिशत, 4 वर्ष की आयु के 83.3 व 5 वर्ष की आयु के 71.4 प्रतिशत बच्चे प्री-स्कूल या आंगनवाड़ी में नामांकित है। इस स्थिति में 2022 की तुलना में मामुली सुधार हुआ है।
- 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के 98 प्रतिशत बच्चे विद्यालयों में नामांकित है। लेकिन इस नामांकन में निजी विद्यालयों ने कोविड के पूर्व की स्थिति प्राप्त कर ली है। यानी सरकारी विद्यालयों में कोविड के कारण बढ़ा नामांकन पुनः कम हुआ है।
2.पढने का स्तरः
एएसईआर रीडिंग टास्क यह आकलन करता है कि क्या बच्चा अक्षर, शब्द, कक्षा 1 के कठिनाई स्तर पर एक सरल पैराग्राफ या कक्षा 2 के कठिनाई स्तर पर एक “कहानी” पढ़ सकता है। सैंपल किए गए घर में, ये कार्य 5-16 आयु वर्ग
के प्रत्येक सैंपल किए गए बच्चे को एक-एक करके दिए जाते हैं। बच्चे को उस उच्चतम स्तर पर अंक दिए जाते हैं जिस तक वह आराम से पहुँच सकता है। 2006 से मूल्यांकन पद्धति एक जैसी ही रही है, जिससे समय के साथ तुलना
करना संभव हो गया है।
- कक्षा 3: राष्ट्रीय स्तर पर, 2024 में, सरकारी स्कूलों में नामांकित कक्षा 3 के बच्चों के लिए बुनियादी पढ़ने का स्तर एएसईआर सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है। कक्षा 3 के बच्चों जो कि कम से कम कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं का प्रतिशत 2022 के 16.3 प्रतिशत की तुलना में 2024 में बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गया। सरकारी स्कूलों में सुधार निजी स्कूलों के लिए इसी सुधार से अधिक है। इस प्रकार 2022 में अधिकांश राज्यों में सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 के पढ़ने के स्तर में गिरावट के बाद, सभी राज्यों ने 2024 में सुधार दिखाया है। 2022 और 2024 के बीच सरकारी स्कूलों में इस अनुपात में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा और महाराष्ट्र शामिल हैं।
- कक्षा 5: कक्षा 5 के बच्चों के बीच पढ़ने के स्तर में काफी सुधार हुआ है, खासकर उन बच्चों के लिए जो सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं। सरकारी स्कूलों में कक्षा 5 के बच्चों का अनुपात जो कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, 2022 में 38.5 प्रतिशत की तुलना में 2024 में 44.8 प्रतिशत हो गया। निजी स्कूलों में कक्षा 5 के बच्चों के पढ़ने के स्तर में भी थोड़ा सुधार देखा गया है, 2022 में 56.8 प्रतिशत की तुलना में 2024 में बढ़कर 59.3 प्रतिशत हो गया। 2024 में, मिजोरम (65.9 प्रतिशत ), पंजाब (66 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (70.1 प्रतिशत) में सरकारी स्कूलों में कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम कक्षा 5 के बच्चों का अनुपात सबसे अधिक पाया गया। सरकारी स्कूलों में इस अनुपात में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि वाले राज्यों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं।
- कक्षा 8: सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ में नामांकित बच्चों में पढ़ने का स्तर बढ़ा है, जो 2022 में 66.2 प्रतिशत की तुलना में 2024 बढ़कर 67.5 प्रतिशत हो गया। निजी स्कूल के छात्रों का प्रदर्शन 2022 और 2024 के बीच अपरिवर्तित रहता है। राज्य-स्तरीय प्रदर्शन में व्यापक रूप से भिन्नता है। गुजरात, उत्तर प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में सरकारी स्कूलों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। हालाँकि, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में गिरावट देखी गई है।
3.गणितीय क्षमताः
एएसईआर अंकगणितीय कार्य यह आकलन करते हैं कि क्या बच्चा 1 से 9 तक की संख्याएँ पहचान सकता है, 11 से 99 तक की संख्याएँ पहचान सकता है, उधार लेकर 2 अंकों का संख्यात्मक घटाव समस्या हल कर सकता है या संख्यात्मक भाग समस्या (3 अंकों को 1 अंक से) को सही ढंग से हल कर सकता है। सैंपल किए गए घर में, ये कार्य 5- 16 आयु वर्ग के प्रत्येक सैंपल किए गए बच्चे को एक-एक करके दिए जाते हैं। बच्चे को उस उच्चतम स्तर पर चिह्नित किया जाता है जिस तक वह आराम से पहुँच सकता है। 2006 से मूल्यांकन पद्धति एक जैसी ही रही है, जिससे समय के साथ तुलना करना संभव हो गया है।
- कक्षा 3: कक्षा 3 में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों का अखिल भारतीय आंकड़ा जो कम से कम संख्यात्मक घटाव की समस्या हल करने में सक्षम हैं, 2022 में 25.9 प्रतिशत की तुलना में यह आंकड़ा 2024 में बढ़कर 33.7 प्रतिशत हो गया है। सरकारी स्कूल के छात्रों में, यह आंकड़ 2022 के 20.2 की तुलना में 2024 में बढ़कर 27.6 हो गया। निजी स्कूल के छात्रों के लिए, इस संख्या में 2022 के बाद से थोड़ा सुधार हुआ है। अधिकांश राज्यों के सरकारी स्कूलों ने 2022 के बाद से वृद्धि दिखायी है, जिसमें तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
- कक्षा 5: अखिल भारतीय स्तर पर, कक्षा 5 में ऐसे बच्चों का अनुपात जो कम से कम संख्यात्मक भाग का सवाल हल कर सकते हैं, में भी सुधार हुआ है। यह आंकड़ा, 2022 के 25.6 की तुलना में 2024 में बढ़कर 30.7 हो गया। यह बदलाव भी मुख्य रूप से सरकारी स्कूलों के कारण हुआ है। सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा सुधार (10 प्रतिशत से ज्यादा) दिखाने वाले राज्यों में पंजाब और उत्तराखंड शामिल हैं।
- कक्षा 8: बुनियादी अंकगणित में कक्षा आठ के छात्रों का प्रदर्शन पहले के स्तर के समान बना हुआ है, जो 2022 में 44.7की तुलना में 2024 में 45.8 हो गया है।
इसके अलावा एएसईआर 2024 में 14 से 16 वर्ष के बच्चों का डिजीटल एक्सेस एवं नामांकन की स्थिति को दर्षाया गया है। इस सर्वे में समस्त राज्यों का तुलनात्मक विवरण और राजस्थान के संबंध में विस्तृत चर्चा षिक्षा की बात के आगामी अंकों में की जाएगी।