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विधानसभा चुनाव : महाराष्ट्र में दो गठबंधनों के बीच होगी कांटे की लड़ाई

  • भाजपा व कांग्रेस को सहयोगियों से तालमेल जरूरी, लोकसभा चुनाव से तो विपक्ष ही ताकतवर

अभिषेक पुरोहित

RNE, NETWORK.

महाराष्ट्र को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है इस कारण राजनीतिक दृष्टि से ये राज्य बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस राज्य की विधानसभा के चुनाव पर पूरे देश की निगाहें रहेगी। इस राज्य के चुनाव का असर पूरी भारतीय राजनीति पर भी पड़ता है। यहां की राजनीतिक घटनाएं पूरे देश को प्रभावित करती है। यहां बॉलीवुड है। बड़े औद्योगिक घराने हैं और व्यापार में ये राज्य एक नम्बर पर है। राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा भी इसी राज्य से मिलता है। महाराष्ट्र के इस बार के चुनाव बहुत रोचक है। क्योंकि पुराने सहयोगियों की बहुत ही अदला बदली हो गई है।

पिछले विधानसभा चुनाव में शिव सेना भाजपा के साथ थी मगर अब उसका एक धड़ा कांग्रेस के साथ है। पिछले 6 महीने से इस राज्य में पार्टियां बदलने का काम भी खूब चल रहा है। जिसमें लगता अगले एक सप्ताह में तेजी आयेगी। महाराष्ट्र में 20 नवम्बर को एक साथ सभी 288 सीटों के लिए इस बार मतदान होना है।

2019 का विधानसभा चुनाव

पिछ्ले विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीट लेकर बड़े दल के रूप में उभरी मगर सरकार नहीं बना सकी। शिव सेना सीएम पद के लिए अड़ गई। उस चुनाव में शिव सेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 व 29 सीटें अन्य को मिली थी। शिव सेना ने एनसीपी व कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।

फिर हुई टूट

सरकार तो उद्धव ने बना ली और वो चल भी रही थी। मगर पूरी मेहनत के साथ भाजपा ने सबसे पहले शिव सेना को ही तोड़ा। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत हुई और अधिक विधायक शिंदे के साथ आये।

भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन दिया और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने। बाद में शरद पंवार की एनसीपी को उनके ही भतीजे अजीत पंवार ने तोड़ा और सरकार के साथ हो गए। वे उप मुख्यमंत्री भी बने। वही सरकार अभी चल रही है।

लोकसभा चुनाव में बदली स्थिति

इस बीच शिव सेना व एनसीपी के दोनों गुटों में टकराहट हुई। चुनाव आयोग तक लड़ाई पहुंची और मूल चुनाव चिन्ह शिंदे व अजीत पंवार को मिल गये। लोकसभा चुनाव आ गये। तब महा विकास अघाड़ी जिसमें कांग्रेस, शिव सेना उद्धव व एनसीपी शरद पंवार थे, मिलकर लड़े। सामने महायुति गठबंधन था। जिसमें भाजपा, शिव सेना शिंदे व एनसीपी अजीत थे।इस चुनाव में महायुति गठबंधन को हार मिली।

महा विकास अघाड़ी गठबंधन आगे रहा। कांग्रेस को 13, शिव सेना उद्धव को 9 व एनसीपी शरद को 8 लोकसभा सीटें मिली। जबकि महायुति में भाजपा को 9, शिव सेना शिंदे को 7 व एनसीपी अजीत को 1 सीट मिली। बाजी पूरी तरह से पलट गई और महायुति में खटपट शुरू हो गई।

लोकसभा से ये स्थिति बनी

लोकसभा चुनाव परिणाम से यदि हम विश्लेषण करें तो महा विकास अघाड़ी को 153 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली। महायुति या एनडीए केवल 126 सीटों पर आगे रही। इस लिहाज से महा विकास अघाड़ी को आगे माना जा सकता है।

अब नए समीकरण

विधानसभा चुनाव के लिए स्थानीय समीकरण ज्यादा हावी रहते हैं। अब एनसीपी अजीत के नेता पार्टी छोड़कर मूल एनसीपी शरद में जा रहे हैं। ये सिलसिला रुक भी नहीं रहा। भाजपा में भी टूट हो रही है। शिव सेना शिंदे के नेता भी पार्टी छोड़ उद्धव के साथ जा रहे हैं।

इसके साथ एनसीपी अजीत भी अब भाजपा व शिव सेना शिंदे के सामने समस्या खड़ी कर रहा है। वो अधिक सीटें मांग रहे हैं। पर्दे के पीछे भी कुछ खेल चल रहा है।

अभी बदलेगी राजनीति

महाराष्ट्र में अभी राजनीति बदलेगी। कई बड़े नेताओं के भी पाला बदलने की संभावना है। उसके बाद कुछ तस्वीर साफ होगी। मगर इस बार राज्य में कांटे का मुकाबला होगा।