
विद्यालयों में नैतिक मूल्यों के संवर्धन प्रभावी संकलन ‘बाल उपवन’, प्रार्थना सभा और साहित्य के महत्व पर जोर
RNE Bikaner.
“प्रार्थना सभा किसी भी विद्यालय का आईना होती है, क्योंकि विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति विशेष रूप से प्रार्थना सभा में ही देखने को मिलती है। यदि इसे रचनात्मक ढंग से आयोजित किया जाए तो यह विद्यार्थियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।” यह विचार मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी बीकानेर महेंद्र कुमार शर्मा ने व्यक्त किए। वे नदीम अहमद नदीम द्वारा संपादित ‘बाल उपवन’ के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में नैतिक मूल्यों के संप्रेषण हेतु साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और ‘बाल उपवन’ इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) बीकानेर सुनील बोड़ा ने ‘बाल उपवन’ को विद्यालयों के लिए अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि इसकी सभी रचनाएं अत्यंत मेहनत और दूरदर्शिता के साथ संकलित की गई हैं। उन्होंने कहा, “नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण में उत्कृष्ट साहित्य का विशेष महत्व है, और ‘बाल उपवन’ इस दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संकलन है।”
उपनिदेशक, शिक्षा निदेशालय बीकानेर डॉ. राम गोपाल शर्मा ने ‘बाल उपवन’ को नैतिकता एवं सामाजिक मूल्यों के संरक्षण का प्रभावी माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि संकलन में विविध विषयों पर उपयोगी सामग्री संकलित की गई है, जिससे यह बाल साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य लेखक विजय कुमार शर्मा ने कहा कि यह एक बहुपयोगी संकलन है, जो प्रत्येक विद्यालय और शिक्षक के पास होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस संकलन की सामग्री एक साथ अन्य किसी संकलन में मिलना लगभग असंभव है।”
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हर्ष ने कहा कि ‘बाल उपवन’ के संपादक स्वयं एक शिक्षक हैं, इसलिए उन्होंने बाल मनोविज्ञान को गहराई से समझते हुए रचनाओं का संकलन किया है। उनका यह प्रयास निश्चित रूप से बाल साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। युवा साहित्यकार अरमान नदीम ने ‘बाल उपवन’ की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इस संकलन में बाल मनोविज्ञान के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रचनाएं चुनी गई हैं, जो इसे और अधिक प्रभावशाली बनाती हैं।
‘बाल उपवन’ के संपादक नदीम अहमद नदीम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यदि किसी विद्यालय के संपूर्ण वातावरण को समझना हो तो उसकी प्रार्थना सभा में शामिल होकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय किस प्रकार संचालित हो रहा है। इसी सोच के साथ ‘बाल उपवन’ की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस संकलन में गुरु जंभेश्वर भगवान, सावित्रीबाई फुले की सहयोगी फातिमा शेख पर जानकारी, बादशाह हुसैन राना द्वारा रचित नज़्म ‘रामायण’, पुस्तकालय से जुड़ी जानकारियां, और बाल नाटक जैसी विविध विषयवस्तु को शामिल किया गया है, जिससे यह बाल साहित्य का एक संपूर्ण संकलन बन गया है।