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बीकानेर: भजन गायक और कथावाचक लक्ष्मण पारीक की 'श्रीमद्भागवत रसधारा' पुस्तक लॉन्च, गणमान्य रहे मौजूद

 

RNE BIKANER.

 संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा वाचक पंडित लक्ष्मण पारीक द्वारा लिखित पुस्तक मोक्षदायिनी श्रीमद्भागवत रसधारा का लोकार्पण रविवार को हुआ। रानीबाजार स्थित जिला उद्योग संघ भवन में मोक्षदायिनी श्रीम‌‌द्भागवत रसधारा के विमोचन का कार्यक्रम महंत विमर्शानन्द गिरी महाराज के सानिध्य और महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित मुख्य आतिथ्य ने संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता भागवताचार्य डॉ. गोपाल नारायण व्यास ने की वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि उद्योगपति एवं पूर्व प्रान्तपाल, रोटरी राजेश चूरा, मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण, जोधपुर के न्यायाधीश बुलाकीदास व्यास पंचागकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू और जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डीपी पच्चीसिया मौजूद रहे। 

सराहनीय प्रयास
इस दौरान महंत विमर्शानंद महाराज ने कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है और हमें अपनी चेतना को जागृत करना होगा और भेद और विभेद के अंतर को समझते हुए कर्म के आधार पर समाज में अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा। पुस्तक प्रकाशन पर उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान का सागर है और इसको पढ़ने और सुनने से ही व्यक्तित्व का निर्माण दिखता है और इस तरह का प्रयास निश्चित रूप से समाज में एक अच्छा संदेश देगा। मुख्य अतिथि महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि गीता एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि हमारे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथ के रूप में इसका प्रचार इसके अस्तित्व को छोटा करने की बात होती है। भागवतचार्य डॉ गोपाल नारायण व्यास ने कहा कि जिस तरह से लेखक लक्ष्मण पारीक ने एक प्रयास किया है और एक पुस्तक में गीता के बारे में सब कुछ समाविष्ट करना संभव नहीं है तो आने वाले दिनों में इसके कई और भाग पर उन्हें काम करना चाहिए। पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने कहा कि जिस तरह का प्रयास लेखक ने किया है वह सराहनीय है और मद्भागवत गीता हमारे लिए आदर्श है और इस पुस्तक को आमजन के लिए सरल भाषा में प्रकाशन करना बहुत साधुवाद का कार्य है। न्यायाधीश बुलाकीदास व्यास ने कहा कि हमारी विरासत का संवर्धन और आने वाली पीढ़ी के लिए हमें कुछ देने की परंपरा इस पुस्तक के प्रकाशन के जरिए एक उदाहरण के रूप में समाज के सामने है। उद्योगपति राजेश चूरा ने कहा कि अब तक केवल भजन गायक के रूप में लक्ष्मण पारीक जी की पहचान थी लेकिन अब लेखक के रूप में वो भी धर्मग्रंथ विवेचना कर उन्होंने पुण्य का कार्य किया है। द्वारका प्रसाद पच्चीसिया ने कहा कि बीकानेर धर्मनगरी है और छोटी काशी नाम होने का कारण यही है कि यहां धर्मपरायण लोग रहते हैं और आज इस कार्यक्रम से इस बात को और बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए एक एक इतिहास के रूप ने दर्ज होगी। कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक पंडित लक्ष्मण पारीक ने अपने पुस्तक लेखन के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया। बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। 
लेखक परिचय :-
पुस्तक के लेखक पंडित लक्ष्मण पारीक बीकानेर में एक विशिष्ट पहचान के धनी है और पिछले 50 सालों से बीकानेर में आयोजित होने वाले भजन जागरण संध्या में भजन गायक के रूप में उनकी प्रभावी उपस्थिति रहती है। बीकानेर के साथ ही पूनरासर धाम और बजरंग धोरा धाम में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रम और मेले के दौरान पारीक की भजन प्रस्तुति रहती है। भागवत कथा वाचक के तौर पर अब तक करीब 35 से ज्यादा भागवत वाचन और नानी बाई का मायरा शिव पुराण कथा का भी वाचन कर चुके हैं। नगर निगम से सेवानिवृत लीगल एडवाइजर पारीक की इस पुस्तक की खासियत है कि संगीतमय भजनों की श्रृंखला के साथ इसे सरल भाषा में लिखा गया है ताकि आम व्यक्ति भी आसानी से श्रीमद्भागवत गीता का पठन कर सके।

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