Movie prime

Bikaner : शहीद अमरचन्द बाँठिया और उनके पुत्र को अंग्रेजों ने मौत की सजा दी, अब बीकानेर में लगेगी प्रतिमा

 

 RNE Bikaner.

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का युद्ध व संकटकाल में साथ देने पर जान गंवाने वाले शहीद अमरचंद बांठिया की पंचधातु की प्रतिमा बीकानेर में स्थापित की जाएगी। इसके लिए बीकानेर के संभागीय आयुक्त से अनुमति मांगी गई है।
 शहीद अमरचन्द बाँठिया स्मृति प्रन्यास ने यह निर्णय लिया है। इस प्रन्यास के आगामी 03 वर्ष के लिए चुनाव भी हुए हैं जिसमें भीनासर के सुमति लाल बाँठिया को सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया  है। इसके अलावा विनोद बाँठिया, बीकानेर को कार्यकारी अध्यक्ष, किशोर कुमार बाँठिया को सचिव व विशाल बाँठिया को कोषाध्यक्ष एवं कार्य समिती के सदस्य के रूप में डॉ धर्मचन्द्र जैन व सन्तोष बाँठिया को आगामी 3 वर्ष के लिए सर्व सम्मति से निर्वाचित घोषित किया गया।

प्रन्यास कर रहा ये काम : 
दरअसल नगर निगम बीकानेर ने शहीद अमरचन्द बाँठिया स्मृति प्रन्यास को भीनासर में मुरली मनोहर मंदिर के पास एक पार्क जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में था गोद दिया। इसे  प्रन्यास ने नवनिर्माण करवा दिया है। अब सम्भागीय आयुक्त से अनुमति मिलते ही वहां शहीद अमरचन्द बाँठिया की पंचधातु की मूर्ति स्थापित की जायेगी। 

बांठिया पिता-पुत्र दोनों के अंग्रेजों ने मरवा दिया, जानिए क्यों!
प्रन्यास की ओर से बताया गया है कि सन् 1857 की क्रांति में जब अँग्रेजों ने ग्वालियर पर कब्जा कर लिया था तो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई   ने अँग्रेजों पर आक्रमण कर उसे मुक्त करवाया। उस वक्त की  लड़ाई में झांसी की रानी का समस्त धन समाप्त हो गया। अमरचन्द बाँठिया ग्वालियर  राजघराने के खजान्ची थे, उन्होंने अपना सारा धन झांसी की रानी को समर्पित किया और ग्वालियर के खजाने का मुहँ भी झांसी की रानी के लिए खोल दिया। इससे वो अपने सैनिकों के वेतन देने की व भोजन की व्यवस्था कर सकी।
अंग्रेजों को  मालूम  पड़ने पर उन्होने अमरचन्द बाँठिया को गिरफ्तार कर लिया और जेल में खूब यातनाएं दे। इसके बावजूद उन्होंने माफी नहीं मांगी। फिर 22 जून 1858 के उनके पुत्र को तोप के गोले से उड़ा दिया और अमरचन्द बाँठिया को फांसी पर लटका  दिया। ऐसे बीर सपूत थे बीकानेर के अमरचन्द बाँठिया और उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए इस प्रन्यास की स्थापना की गई।