Movie prime

दीपावली जैसे दीपों के त्यौहार पर जुआ खेलना एक चिंता का विषय, जगह जगह जुए के फड़ करते है युवाओं, किशोरों को गुमराह

हर बार पुलिस कहती है रोकने के पूरे प्रबंध, फिर भी बेधड़क होता जुआ
अनेक घरों में जुए के कारण पसरता है क्लेश
मानना पड़ेगा ही कि जुआ एक सामाजिक बुराई
पुलिस को भी बुराई रोकने के लिए होना पड़ेगा वास्तव में चुस्त
 

रितेश जोशी
r

RNE Special.
 

' दिन में सुओ, रात में जुओ ' यह उक्ति ही बताती है कि दीपावली पर जुए का जबरदस्त जोर रहता है। लोग रात भर जुआ खेलते है और रात की नींद दिन में सोकर पूरा करते है। जुआ एक नहीं अनेक स्थानों पर खेला जाता है। दीपावली पर यह जुआ सड़क पर सरेआम हो जाता है। जबकि अन्य दिनों में कुछ जगहों पर घरों पर खेला जाता है।
 

दीपावली पर जुआ खेलने को एक परंपरा बताकर लोग बचते है। जबकि इस तरह का कहीं भी, किसी भी ग्रंथ में दीपावली व जुए के गठजोड़ का प्रमाण नहीं मिलता। महाभारत में जुए से नुकसान की सीख अवश्य मिलती है।
दूसरी बात, परंपरा व रूढी में अंतर है। परंपरा वो होती है जो समय के अनुसार बदले। यदि पहले लोग इसे खेलते थे तो अब इस युग यानी समय मे इसे बंद भी करना चाहिए। 

ad

जुए के प्रकार भी बहुत:
 

  1. घोड़ी -- यह  पासे होते है और जिस पर अंक लिखे होते है। अंकों को हार - जीत का आधार बनाया हुआ है। ये हाथ से फेंके जाते है।
  2. दे जिसको माता जी -- इसमें सामने एक प्रिंटेड बोर्ड होता है। जिसमें वही सब छपा होता है जो पासे पर होता है। इसे एक डिब्बे में डालकर, हिलाकर फेंका जाता है।
  3. अंदर - बाहर --- ताश की गड्डी से ये जुआ खेला जाता है। इसमें सामने वाला पत्ता बाहर व ताश चलाने वाले की तरफ का पत्ता अंदर माना जाता है। उसी से जीत - हार होती है।
  4. छूट - बाद -- सामने ताश के 13 पत्ते बिछे रहते है और लोग उन पत्तों पर दाव लगाते है। ताश चलाने वाले से यह पूरा खेल संचालित होता है।

 इस तरह के प्रमुख जुए दीपावली पर सरेआम सड़कों पर, मोहल्लों में, गलियों में खेले जाते है और इन पर लाखों की जीत - हार होती है।
 

ये जुआ चिंता का विषय:
 

दीपावली पर धड़ल्ले से खेला जाने वाला ये जुआ चिंता की बड़ी वजह है। क्योंकि सरेआम होते इस जुए को युवा व किशोर देखते है। लोभ व लालच में उलझते है और फिर इस बुराई से ग्रसित हो जाते है। उसके बाद तो ये लत उनके पतन का बड़ा कारण बन जाती है।
 

अनेक घरों में पसरता है क्लेश:
 

जुए के कारण दीपावली जैसे खुशियों के पर्व पर भी कई घरों में क्लेश पनपता है। हारा हुआ जुआरी घर को परेशान करता है। घर मे सामग्री लाने के बजाय घर का सामान बेचकर या गिरवी रखकर जुआ खेलता है। घर वाले मना करे तो मारपीट करता है। ऐसी अनगिनत घटनाएं दीपावली पर होती है।

123

पुलिस सुस्त, तभी पनपती बुराई:
 

पुलिस जुए को लेकर सुस्त रहती है, तभी तो ये दीपावली पर जोरों से पनपता है। हर साल पुलिस जुआ रोकने के माकूल प्रबंध व हर मोहल्ले में पुलिस की तैनाती करती है। उसके बाद भी जुआ सरेआम होता है। कहीं तो चूक है। 
 

पुलिस को सख्त होना पड़ेगा। तभी इस सामाजिक बुराई पर लगाम लगेगी। नहीं तो ये छूत की बीमारी की तरह समाज मे पसरती जाएगी। पुलिस को किसी नेता, प्रभावी व्यक्ति के दबाव को न मान इस वृत्ति पर अंकुश के लिए कठोर कदम उठाने पड़ेंगे।
 

कठोर कदम उठाकर ही पुलिस समाज और बीकानेर का भला कर सकती है। इस शहर को बुराई की जद में आने से रोक सकती है। पुलिस की सख्ती का विरोध केवल जुआरी करेंगे, जबकि हजारों घर पुलिस को शाबाशी देंगे। उसके लिए दुआ करेंगे।

FROM AROUND THE WEB