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जनरंजन : झालरापाटन का एक वीडियो खूब हो रहा वायरल, पुराने सहयोगियों के संपर्क में है राजे लगातार

हर कोई देखना चाहता है अगला कदम
साफगोई की उनकी शैली बनाये हुए है सुर्खियों में
 

मधु आचार्य ' आशावादी '
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RNE Special.
 

विधानसभा चुनाव के बाद से ही हाशिये पर आई पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी गतिविधियों के कारण सदैव सुर्खियों में बनी रहती है। इस बार उनको पार्टी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर नहिंम दिया, जबकि उनके समर्थक विधायकों व सांसदों की संख्या कम नहीं है। विधायक दल की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे पर्ची पर लिखे अगले मुख्यमंत्री का नाम बोलवाया। 

वो दृश्य विचित्र था, मगर उनको ही अगले सीएम के रूप में भजनलाल शर्मा का नाम बोलना पड़ा। तबसे ही राजे के मन में एक कशक है। वे पार्टी की अनुशासित सिपाही है, इस वजह से कोई प्रतिरोध करने का तो सवाल ही नहीं उठता। मगर उनके तेवरों में जरूर कुछ बदलाव आ गया। अब उनके किसी भी आयोजन में दिये गए बयान सुर्खियां बनते है और सब लोग उनके बयान के अपने अपने हिसाब से इन्टरपिटेशन करते है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि इन दिनों उनके बयान तीर की तरह कईयों को भेदते है। निशाने पर लगते है।
 

झालरापाटन का वीडियो:
 

तीन दिन से सोशल मीडिया पर वसुंधरा राजे का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे कहीं जा रही है। रास्ते में एक दुपहिया वाहन पर दो युवक दिखते है, जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना हुआ है। वे कार रोककर नीचे उतरती है और उन युवाओं के पास जाती है।

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युवाओं से पूछती है, हेलमेट कहाँ है? वे कहते है, ये पड़ा। तब वे उनको डांटती है। हेलमेट से होने वाले बचावों के बारे में बताती है। जागरूकता की बात करती है। यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है। वसुंधरा राजे वास्तव में उस समय अपने साथी व भाजपा नेता श्रीकृष्ण पाटीदार के यहां जा रही थी। तब उनको ये दो युवक दिखाई दिए थे।
 

सहयोगियों के संपर्क में है राजे:
 

वसुंधरा राजे का राजस्थान में वर्चस्व रहा है। उनके समर्थक नेता, कार्यकर्ता हर शहर, गांव में है। उनकी जन पकड़ बहुत मजबूत है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस कारण वे जहां भी जाती है, उनके साथ काफिला होता है। जहां भी पहुंचती है, वहां लोग भी अच्छी संख्या में जमा होते है।

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इस समय उनके पास सरकार या संगठन के कोई बड़ा दायित्त्व नहीं है, खूब समय है। जिसका वे पूरा उपयोग कर रही है। अपने सहयोगियों के खुशी के त्यौहारों में शरीक होती है। गम होने पर भी तुरंत सांत्वना देने पहुंचती है। अपने सहयोगियों से उनका जीवंत संपर्क है। वे कईयों से फोन कर उनके हालचाल जानती है। उनकी अपनों में सक्रियता जरा भी कम नहीं हुई है।
 

अभी है साफगोई की शैली:
 

इस दौर में वसुंधरा राजे ने साफगोई की शैली को अपनाया हुआ है और ये शैली ही उनको चर्चा में रखे हुए है। चाहे प्रदेश अध्यक्ष के पदभार का समारोह हो या कोई धार्मिक आयोजन, वे ऐसा बयान देती है जिससे गूढ़ राजनीतिक अर्थ निकलते है। लोग कयासों में लग जाते है। वे अपने पार्टी के भीतर के विरोधियों पर भी कटाक्ष करने और तंज करने से नहीं चूकती है। इस तरह के बयानों के कारण वे ज्यादा चर्चा में है।
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अगला कदम क्या...
 

राजनीति के जानकार, उनके समर्थक, उनके पार्टी के भीतर के विरोधी हर समय इस उत्सुकता में रहते है कि राजे अब क्या कदम उठाएगी। वे लगातार उनकी तरफ देखते रहते है। माना जा रहा है कि राजस्थान में अभी जो मोर्चा अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है, उनमें भी राजे का अच्छा खासा दखल है। राजे भले ही सत्ता पर काबिज न हो, मगर सबसे ज्यादा सुर्खियां वे ही बटोरती है।

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