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ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक विनोद कुमार शुक्ल का निधन, हिंदी साहित्य के एक सितारे के रूप में पहचान थी शुक्ल की

 

RNE Special.

हिंदी साहित्य का एक सितारा कल अस्त हो गया। हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार व ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का कल रायपुर की एम्स में निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।
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शुक्ल उन बिरले रचनाकारों में से थे जिनकी उपस्थिति मंचों पर नहीं, लोगों के दिलों में थी। उनकी पहली कविता 1971 में ' लगभग जयहिंद ' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। उनके उपन्यास जैसे ' नोकर की कमीज ', ' दीवार में एक खिड़की रहती थी ', ' खिलेगा तो देखेंगे ' हिंदी के बेहतरीन उपन्यासों में गिने जाते है। नोकर की कमीज उपन्यास पर फिल्मकार मणिकौल ने एक फिल्म भी बनाई थी, जो काफी पसंद की गई थी।
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उनके निधन पर कवि, चिंतक डॉ नंदकिशोर आचार्य, राजस्थानी कवि, आलोचक, नाटककार डॉ अर्जुन देव चारण, माधव हाडा, मंगत बादल, मधु आचार्य ' आशावादी ', डॉ ब्रजरतन जोशी, संजय पुरोहित, नगेन्द्र किराड़ू, अमित गोस्वामी, नदीम अहमद नदीम, आदि ने शोक व्यक्त किया है।

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