अब तो जेबकतरों के लिए भी पीबीएम सॉफ्ट जोन, बाइक व मोबाइल चोरी के बाद जेबतराशी भी जोरों पर
पीबीएम में ' अंधेर नगरी, चौपट राजा ' की स्थिति
मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन मौज में, चोर ऐश में
रितेश जोशी
RNE Special.
बीकानेर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल पीबीएम है। यहां बेहतर चिकित्सक व चिकित्सा सुविधाएं होने के कारण आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते है। कैंसर का अच्छा इलाज उपलब्ध होने के कारण पंजाब व हरियाणा से बड़ी संख्या में मरीज देश में अन्यत्र इलाज कराने के लिए जाने के बजाय बीकानेर आना पसंद करते है।
पंजाब से आने वाली एक गाड़ी को तो कैंसर ट्रेन ही कहा जाता है। जिस पर देश भर के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कई बार स्टोरी की है। इस बड़ी साख वाली पीबीएम की साख को अब लगातार बट्टा लग रहा है। मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन की नाकामी, लचरपन व लापरवाही के कारण इस अस्पताल की इज्जत पर आंच आने लग गई है और बीकानेर की साख को भी धब्बा लग रहा है।
दृश्य :: प्रथम
वो अपनी आंखों की जांच कराने के लिए पीबीएम अस्पताल आया था। साथ मे पैसे भी लाया था। आंखों के इलाज के लिए जरूरत पड़ सकती थी। बाद एक दूसरे काम के लिए भी जाना था, पैसों की वहां भी जरूरत पड़नी थी।
मध्यम वर्ग का वो व्यक्ति था। जांच कराकर बाहर आया। जैसे ही जेब में हाथ डाला तो 25 हजार रुपये गायब। वो तो पूरी तरह सकते में आ गया। उसके पांव के नीचे से जमीन ही खिसक गई। आंख की बीमारी भूल गया, क्योंकि आर्थिक बीमारी उससे कहीं बड़ी खड़ी हो गई थी। एफआईआर लिखवा दी, मगर पैसे तो मिलने नहीं। मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रशासन को इस व्यक्ति के दर्द से कोई सरोकार नहीं। उनकी कोई टिप्पणी या प्रयास ही नहीं। वाह रे पीबीएम प्रशासन।
दृश्य :: द्वितीय
उसके परिचित आईसीयू में भर्ती थे। वो उनकी तबीयत पूछने आया। पिछले गेट के बाहर उसने अपनी बाइक खड़ी की और भीतर चला गया। मरीज के पास 10 मिनट रहा। वापस बाहर आया तो पाया कि बाइक अपने स्थान पर नहीं है।
सोचा, इधर उधर न खिसका दी हो। मगर पूरी अस्पताल छान मारी, बाइक नहीं मिली। पीबीएम प्रशासन व मेडिकल कॉलेज प्रशासन तक को पूछा पर रूखा जवाब मिला। एफआईआर दर्ज कराई पर बाइक तो नहीं मिली। वाह रे मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन, आपको इस बाइक चोरी से भी कोई सरोकार नहीं।
अब जेबकतरों की पौ बारह:
पीबीएम में अब जेबकतरे भी काफी सक्रिय हो गए है। जबकि बीकानेर में अभी तक इनके ज्यादा कारनामे सामने नहीं आये। मगर उनको पीबीएम अब सॉफ्ट जगह मिल गई जहां वे हाथ आजमा रहे है। दुःख इस बात का है कि यहां या तो मरीज आता है, या फिर उसका परिजन। जो बमुश्किल पैसे एकत्रित कर इलाज कराने आते है। उनकी जेब से पैसे निकल जाते है। ये कितना दुखदाई है। अफसोस तो इस बात का है कि पीड़ित को मेडिकल कॉलेज प्रशासन व पीबीएम प्रशासन उसके हाल पर छोड़ मुंह फेर लेते है, अपनी किसी भी जिम्मेवारी का निर्वाह भी नहीं करते।
मरीजों का सामान गायब:
जनरल वार्ड में भर्ती मरीज जब रात के समय सो जाता है तो परिजन भी थोड़ा आराम करता है। उस समय कई मरीजों के पास से उनका मोबाइल या सामान चोरी हुआ है। कई घटनाएं है ऐसी। पीबीएम परिसर के भीतर वार्ड की घटनाएं, मगर फिर भी सब कुछ मरीज का परिजन करे। मेडिकल व पीबीएम प्रशासन की कोई जिम्मेदारी या जवाबदेही नहीं।
अंधेर नगरी, चौपट राजा की स्थिति:
मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रधासन यहां मरीजों व परिजनों के साथ हो रही इस घटनाओं को लेकर पूरी तरह उदासीन है। वो न तो अपनी तरफ से कोई कार्यवाई करता है और न रक्षा के कोई उपाय करता है। सभ कुछ भगवान भरोसे। मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन को देखकर लगता है, जैसे पीबीएम में अंधेर नगरी है और चौपट राजा है।
प्रशासन मौज में, चोर ऐश में:
लगातार बाइक चोरी, सामान चोरी, जेबतराशी को देखकर लगता है जैसे मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन पूरी तरह से मौज में है, तभी तो चोर ऐश में है।
रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस के सवाल:
- क्या पीबीएम आने वाले मरीज व परिजन की सुरक्षा मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन का दायित्त्व नहीं ?
- क्या कभी किसी चोरी की रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन ने लिखवाई ?
- क्या कभी मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन ने चोरों पर नजर के लिए सीसीटीवी या सुरक्षाकर्मी लगाने का प्रशासनिक काम अपनी तरफ से किया ?
- क्या मेडिकल कॉलेज व पीबीएम प्रशासन ने इस तरह की बढ़ती घटनाओं को लेकर पुलिस व प्रशासन से कभी बात की ?
- क्या इन अपराधों की जानकारी मेडिकेयर समिति के मुखिया संभागीय आयुक्त को दी ?