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RLP की बीकानेर रैली के कई मायने, यहां के आरएलपी नेताओं को मिलेगी बड़ी जमीन

 

RNE Bikaner.
 

राजस्थान में इकलौती क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने अपना सातवां स्थापना दिवस मनाया और इसकी रैली पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर में की। नागौर के हनुमान बेनीवाल की बीकानेर मंे रैली के कई राजनीतिक मायने लगाए जा रहे हैं। इनमंे सबसे बड़ा मायना यह है कि जल्द ही निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं। हनुमान बेनीवाल उन जिलों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं जहां उन्होंने आंदोलन किए हैं और जमीन तैयार की है। बीकानेर मंे भी ऐसे ही जिलों मंे शामिल है। 

डूडी के बाद बीकानेर की किसान राजनीति में कौन!
 

दरअसल बीकानेर के कांग्रेस खेमे में किसान नेता रामेश्वर डूडी के इर्द-गिर्द पंचायती राज चुनाव लड़े जाते रहे हैं। कांग्रेस में ‘एक ओर डूडी दूसरी ओर बाकी सब’ फार्मूला हमेशा महसूस होता रहा। इसके बावजूद पिछले 30 सालों में या तो डूडी खुद जिला प्रमुख या वहीं बना जिसे उन्होंने चाहा। इतना ही नहीं पंचायत समिति प्रधानों में उनकी पसंद सर्वाधिक प्रभावी रही। दुर्भाग्य से अब डूडी नहीं रहे। खेमों में बंटी कांग्रेस में ऐसे दबंग नेता की कमी महसूस हो रही है जो जिलेभर मंे जनाधार रखते हुए रणनीतिक कौशल से जीत दिला सके।
 

हनुमान बेनीवाल ने कई मौकों पर जाहिर किया है वे डूडी उनके पसंदीदा नेता थे। वे डूडी समर्थकों से काफी घुले-मिले रहे। उनके अस्वस्थ होने के दौरान बार-बार हालचाल जानते रहे। अंतिम यात्रा में शामिल हुए। ऐसे मंे डूडी के खालीपन को भरने के लिए वे बीकानेर की राजनीति में अपनी टीम को मजबूत करने के प्रयास में लगे हैं। यह टीम सक्रिय भी हो चुकी है।

बीकानेर के ये आरएलपी नेता बना रहे जमीन:
 

आरएलपी ने बीकानेर मंे हालांकि कोई विधायक नहीं बनाया लेकिन अपनी जमीन बना रही है। विवेक माचरा, प्रभुदयाल गोदारा, दानाराम घिंटाला, विजयपाल बेनीवाल आदि कई नाम है जो समय-समय पर किसानहित के मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं। गिरदावरी में भ्रष्टाचार, मूंगफली खरीद, किसानों के लिए बिजली, नहरी पानी सहित कई मुद्दे हैं जिन्हें इस रैली में छुआ गया।

रैली को बीकानेर संभाग पर केन्द्रित किया गया। इसमंे बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर आदि जिले शामिल हैं। यहां यह भी देखना है कि कांग्रेस की ओर से इस संभाग में नए किसान नेता के रूप में भाजपा छोड़कर आए सांसद राहुल कस्वां काफी सक्रियता दिखा रहे हैं। इधर बीकानेर के कई युवा कांग्रेस नेताओं ने बड़े आंदोलन कर अपनी जमीन दिखाने की कोशिश की है। ऐसे ही हालात में हनुमान बेनीवाला की रालोपा की बड़ी एंट्री यहां इस बार रोचक राजनीतिक समीकरण पैदा कर सकती है।

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