Movie prime

मानसून की बरसात सिर पर, तालाबों में आयेगा पानी, अभी से वहां सुरक्षा, सफाई के प्रबंध जरुरी 

हादसे के बाद अगर प्रशासन को होश आया तो फायदा क्या
मानसून में तालाबों पर तैराक लगाने का काम क्यों नहीं होता
जनता हर बार तैराक की मांग भी करती है
 

रितेश जोशी
r

RNE Special.
 

' बीकानेर गोठ और गंठों का शहर है। तभी तो यह उक्ति प्रसिद्ध है - सावण बीकानेर। ' सावन के महीनें में ही यहां मानसून आता है और बरसात से यहां के तालाब हर्षोलाव, संसोलाव, देवकुंड सागर, कपिल मुनि आदि में पानी भरता है। लोग उसमें नहाने पहुंचते है और शिव का अभिषेक करते है। क्योंकि अधिकतर तालाब शिवालयों से ही जुड़े हुए है। सावन का महीना भी शिव का है। 
 

अब बीकानेर में मानसून ने दस्तक दे दी है। बारिश भी बीकानेर की मनुहार स्वीकार कर रही है। तय है कि तालाबों में पानी भरेगा। बरसात ही एक जरिया है। क्योंकि प्रशासन की मिली भगत से भू माफियाओं ने तालाबों की आगोर को तो निगल ही लिया। अब आकाश से बरस के आने वाले पानी से तालाब भरेंगे। फिर वहां गोठ होगी, गंठे लगेंगे।
 

प्रशासन बना हुआ है लापरवाह:
 

लोग तो तालाबों में पानी आने की प्रतीक्षा कर रहे है। इनमें पानी आते ही वे इनकी तरफ दौड़ पड़ेंगे। भारी मजमा हर तालाब पर लगेगा। प्रशासन को इस बात की जरा भी फिक्र नहीं कि लोगों की सुरक्षा के लिए इन तालाबों की पहले वो सफाई करा दे। ताकि पानी भरने पर दुर्घटना की संभावना ही क्षीण हो जाये। प्रशासन नींद में है और जन प्रतिनिधि उसे जगाते नहीं है। 
 

प्राधिकरण, निगम जागो तो सही!
 

शहर के विकास, वैभूति का जिम्मा नगर निगम व बीकानेर विकास प्राधिकरण के पास होता है। इन दोनों को ये काम करना चाहिए। मगर इन्हें फुर्सत नहीं। सत्ता या विपक्ष के नेता इनको चेताते भी नहीं। हे माननीयों! ये काम भी आपका है, आप भी जागो।
 

हर बार के हादसों से सबक लो!
 

प्रशासन को हर साल होने वाले हादसों से सबक लेना चाहिए। कई बार गम्भीर दुर्घटनाएं हुई है। तब जनता ने तालाबों पर तैराक यानी वो शारीरिक शिक्षक लगाने की मांग की है जो इस समय स्कूलों में व्यस्त नहीं रहते। प्रशासन शिक्षा विभाग से बात कर इनको तालाबों पर लगवा सकता है। इसकी एवज में उनको विभाग से लाभ जनहित में दिलाया जा सकता है। एक बार जब शहर के विधायक डॉ बी डी कल्ला मंत्री थे तब ऐसी व्यवस्था हुई थी। अब भी हो सकती है।
 

ये गंभीर मसला है कलेक्टर साहिबा!
 

इस मामले में अब तो जिला कलेक्टर साहिबा को हस्तक्षेप करना चाहिए। उनकी ईच्छा शक्ति हो तो ये सब प्रबंध सम्भव है और जनता को राहत मिलनी निश्चित है। जनता के हित में कलेक्टर साहिबा को ही अब संख्त कदम उठाना पड़ेगा।