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Bikaner : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरिदास हर्ष को 'राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्य सम्मान' पेश किया गया

 

RNE Bikaner.

स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 527वीं कड़ी महाकवि तुलसीदास जी की जयंती पर तुलसीदास जी को समर्पित रही। इस महत्वपूर्ण कड़ी की अध्यक्षता कवि कमल किशोर पारीक ने की। मुख्य अतिथि हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि डॉ.हरिदास हर्ष थे। विशिष्ट अतिथि उर्दू शाइर शकील ग़ौरी थे। राष्ट्रीय कवि चौपाल के क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि सम्मान के क्रम में अतिथियों एवं संस्था प्रतिनिधियों द्वारा डॉ.हरिदास हर्ष को शॉल,माल्यार्पण एवं श्रीफल पेश करके सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमल किशोर पारीक ने कहा कि डॉ.हरिदास हर्ष की समृद्ध साहित्य साधना का सम्मान करके राष्ट्रीय कवि चौपाल ने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। विशिष्ट अतिथि शकील ग़ौरी ने कहा कि संस्था समय-समय पर साहित्यकारों का सम्मान करके साहित्यकारों की हौसलाअफ़ज़ाई कर रही है,इसके लिए संस्था के तमाम पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।

इस अवसर पर डॉ.हरिदास हर्ष ने बतौर मुख्य अतिथि अपना उद्बोधन देते हुए महाकवि तुलसीदास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपनी बात रखते हुए कहा कि तुलसीदास जी ने जो रचा वो अमर हो गया। आपने बीकानेर की समृद्ध साहित्य परंपरा और वरिष्ठ साहित्यकारों के योगदान को भी रेखांकित किया। डॉ. हरिदास हर्ष ने अपनी कविता की इन पंक्तियों से श्रोताओं को गंभीर चिंतन मनन करने पर मजबूर कर दिया- बीत गया जीवन संघर्ष करते-करते, झांक रहा अतीत में कुंठित सा अंतर्मन।

कमल किशोर पारीक और शकील ग़ौरी ने बतौर अतिथि रचना पाठ करते हुए श्रोताओं से भरपूर वाह वाही लूटी। इस अवसर पर नगर के एक दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से कार्यक्रम को परवान चढ़ाया जिनमें शाइर क़ासिम बीकानेरी, कवि शिव दाधीच, हास्य कवि बाबू बमचकरी, कैलाश टाक, कृष्णा वर्मा, डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई, मनमोहन कपूर, राजकुमार ग्रोवर, सिराजुद्दीन भुट्टा एवं पवन चढ़ा ने कविता पाठ करके श्रोताओं से भरपूर दाद हासिल की। कार्यक्रम में अनेक श्रोता उपस्थित थे जिनमें महेश हर्ष, डॉ. तुलसीराम मोदी, परमेश्वर सोनी आदि शामिल हैं। कृष्णा वर्मा ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आग़ाज़ किया।संचालन बाबू बमचकरी ने किया जबकि आभार ओमप्रकाश भाटी ने ज्ञापित किया।