Terapanth News : आचार्य महाश्रमण सदा प्रसन्नचित क्योंकिअनावश्यक नहीं बोलते : मुनिश्री कमलकुमार
Aug 23, 2025, 19:53 IST
RNE Gangashahar-Bikaner.
पर्युषण के चोथे दिवस वाणी संयम दिवस पर अपने विचार प्रकट करते हुए उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी ने कहा कि अनावश्यक नहीं बोलना ही वाणी संयम दिवस की महत्ता है। भगवान महावीर ने हमें समिति गुप्ति का सुन्दर उपदेश दिया है। समिति का अर्थ होता है सम्यक प्रवृत्ति भाषा समिति का तात्पर्य है विचार पूर्वक निर्वध बोलना। अर्थात् पापरहित भाषा हो जिससे किसी को कष्ट नहीं हो। असत्य और अप्रिय वाणी समस्या को बढ़ाने वाली होती है तो कटुसत्य भी समस्या का अंबार लगाने वाला होता है। इस समय गुप्ति का प्रयोग करना चाहिए अथार्त पूर्ण मौन की साधना जरूरी है। समिति गुप्ति को गहराई से समझ कर चलने वाला सर्वप्रिय बनता है।
मुनिश्री ने आचार्य श्री महाश्रमण जी का उदाहरण देते हुए फरमाया कि इतने बडे़ धर्मसंघ का संचालन करते हुए भी सदा प्रसन्नचित रहते हैं क्योंकि वे अनावश्यक वो बोलते ही नहीं है। आवश्यक भी सीमित शब्दों में हितकर बोलते हैं इसलिए ही वे जन जन की आस्था के आधार बने हुए हैं। वाणी विवेक होने से बिगड़ी बात को बनाया जा सकता है। मुनि श्री ने फरमाया कि साधु तो मौन करने से भी काम चल सकता है। परंतु गृहस्थ को तो बोलना ही पड़ता है अन्यथा परिवार व्यापार चलाना कठिन हो जाता है । परंतु वाणी में माधुर्य और चार्तुय हो तो हर कठिन कार्य को आसान किया जा सकता है। इस अवसर पर वाणी संयम पर मुनि श्री में स्वरचित गीत का संगान किया। मुनि श्रेयांस कुमार जी मुनि मुकेशकुमार जी ने अलग अलग गीतों का संगान किया मुनिश्री ने फरमाया कि आज पचरंगी का अंतिम दिवस हे दो पचरंगी का एक साथ होना अच्छी बात है। भाई बहनों ने उपवास, बेले, तेले, चोले, पंचोले, छः तक की तपस्या के साथ काफी लोगों ने एकाशन का प्रत्याख्यान किये। तारादेवी बैद के 41 व मुनि नमिकुमार जी के 32 दिन की तपस्या सानंद प्रर्वधमान है। सांयकालीन प्रतिक्रमण के तत्पश्चात शान्तिनिकेतन में साध्वीश्री विशदप्रज्ञा जी साध्वीश्री लब्धियशा जी के सानिध्य में जैन श्रावक की पहचान विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।