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विद्या भारती का अभिनव प्रयास : शिक्षा में भारतीयता से बनेगा भारत विश्वगुरु – स्वामी विमर्शानंद

 

RNE Bikaner.

विद्या भारती के तत्वावधान में संचालित आदर्श शिक्षण संस्थान, बीकानेर के 23 विद्या मंदिरों का सामूहिक आचार्य सम्मेलन आदर्श विद्या मन्दिर उच्च माध्यमिक, गंगाशहर में आयोजित हुआ। उद्घाटन सत्र में उद्घाटन सत्र में लालेश्वर महादेव मंदिर शिव बाड़ी के पीठाधीश्वर विमर्शानंद जी महाराज, जिला शिक्षा अधिकारी किशनदान चारण, प्रान्त निरीक्षक गंगा विष्णु बिश्नोई, विभाग संघ चालक टेकचंद बरड़िया, अध्यक्ष जिला समिति बनवारीलाल सैनी, जिला सचिव मूलचंद सारस्वत ने दीप प्रज्ज्वलन किया। जिला सचिव मूलचंद सारस्वत ने बताया आचार्य सम्मेलन में 300 आचार्य बन्धु- भगिनी तथा अन्य प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी किशनदान ने कहा कि “विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के जिन प्रयासों को लागू कर रही है, वे अत्यंत सराहनीय हैं। शिक्षा को जीवन से जोड़ना और बालकों को व्यवहारिक ज्ञान देना ही नीति का उद्देश्य है, जिसे विद्या भारती सफलता से निभा रही है।”विद्या भारती न केवल ज्ञानार्जन तक सीमित है, बल्कि बच्चों में संस्कार, जिज्ञासा और राष्ट्रभावना का संचार कर रही है। यही प्रयास भविष्य में भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
विमर्शानंद जी महाराज ने आचार्य की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि “विद्या भारती जिन संस्कारों को लेकर आगे बढ़ रही है, उससे निश्चित ही समाज में अच्छे नागरिक तैयार होंगे। सच्चा शिक्षक वही है जो बालक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न करे और उसके हृदय को स्पर्श करते हुए शिक्षा प्रदान करे। शिक्षक का कार्य केवल पढ़ाना नहीं बल्कि 24 घंटे विश्व कल्याण की भावना से जुड़ना है।”
मुख्य वक्ता प्रान्त निरीक्षक गंगाविष्णु बिश्नोई ने शिक्षा के भारतीय स्वरूप की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि “शिक्षा में भारतीयता को लाना ही इसकी वास्तविक सार्थकता है। तभी भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों ने विश्व को ज्ञान दिया था। आज भी यदि शिक्षा को पाठ्यक्रम, परीक्षा और समय की बेड़ियों से बाहर लाना है, तो भारतीय शिक्षा पद्धति को अपनाना होगा।” शिक्षा के पंचतत्व – सर्वस्पर्शी और आनंदमयी दृष्टि से जोड़ना होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बाल केंद्रित और क्रिया आधारित शिक्षण को वरीयता देती है। आज पुनः हमें उसी परम्परा में लौटने की जरूरत है। विद्या भारती भारतीय शिक्षा पद्धति के पुनर्स्थापन के लिए प्रयत्नशील है। सम्मेलन के प्रबंध प्रमुख नवल किशोर सैनी ने बताया कि प्रथम दिन विद्यालय के शिक्षण विषयों पर प्रशिक्षण के साथ सभी आचार्यों को भारत माता पूजन, सुलेख, स्पोकन इंग्लिश, नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक की भूमिका, विद्या भारती अभिनव पंचपदी, हमारे विद्यालय सामाजिक चेतना के केन्द्र आदि विषयों चर्चा और अभ्यास किया गया । उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में अनेक शैक्षिक विषयों पर मंथन एवं क्रियान्विति पर चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम को सफल बनाने में अनेक कार्यकर्ता योगदान दे रहे हैं। तीन दिवसीय कार्यक्रम में क्षेत्रीय और प्रान्तीय अधिकारियों का सान्निध्य प्राप्त होगा।