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बाड़मेर में अश्लील पोस्टर लगे, जनता में किच किच, आंच जयपुर से दिल्ली तक भी पहुंच रही

मेवाराम के बहाने गहलोत पर साधा जा रहा निशाना
गहलोत घिरे अपनी ही पार्टी के नेताओं से
हरीश चौधरी, उमेदाराम विरोध में उतरे, डोटासरा मौन
पायलट तमाशा देख रहे, मुस्कुरा भी रहे
 

मधु आचार्य ' आशावादी '
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RNE Special.
 

बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन के कारण इस बार कांग्रेस की गुटबाजी उभर के सड़कों पर आ गयी है और यह भ्रम पूरी तरह से टूट गया है कि विधानसभा चुनाव में हार से कांग्रेस ने सबक लिया है और एकजुट हुई है। मेवाराम प्रकरण ने साबित कर दिया कि भीतर से कांग्रेस अब भी पूरी तरह बिखरी हुई है और सभी अपनी डफली पर अपनी राग गाने में लगे हुए है।
 

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आलाकमान की लाख कोशिशों के बाद भी राजस्थान के पार्टी के गुट एक नहीं हो सके है और वे निरंतर अवसर मिलते ही एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक देते है। इसका खमियाजा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उठाना पड़ रहा है।
मेवालाल प्रकरण ये है

 

बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन की एक कथित अश्लील सीडी सामने आई। पार्टी ने उन पर कार्यवाही की और पार्टी से निलंबित कर दिया। उस समय सभी नेताओं ने  अशोक गहलोत सहित मेवाराम के खिलाफ बयान दिए। कोर्ट में मामला चला और मेवाराम जैन को क्लीन चिट मिल गई।
 

उसके बाद से वे वापस पार्टी में आने के लिए जी तोड़ कोशिश भी कर रहे थे। उनका विरोध बाड़मेर के दिग्गज जाट नेता हरीश चौधरी, सांसद उमेदाराम बेनीवाल, वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी कर रहे थे। वहीं अशोक गहलोत व उनके गुट के नेता उनको पार्टी में लेने की तरफदारी कर रहे थे। 

कशमकश के बाद उनको पार्टी में लेने का कुछ दिन पहले निर्णय हो गया। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने उनका निलंबन रद्द कर घर वापसी का आदेश जारी कर दिया। बस, पार्टी में बवाल शुरू हो गया, जो अभी तक थमा नहीं है।
 

अश्लील पोस्टर भी लग गए:
 

मेवाराम की घर वापसी के अगले ही दिन बाड़मेर में उनसे जुड़े कथित अश्लील पोस्टर व होर्डिंग लग गए। जनता में कांग्रेस की किच किच शुरू हो गयी। इस बीच गहलोत का अपरोक्ष रूप से मेवाराम के पक्ष में बयान आ गया तो हेमाराम, हरीश चौधरी व उमेदाराम के अपरोक्ष रूप से विरोध में बयान आ गए। हेमाराम जी ने तो अब धमकी भी पार्टी को दे दी है। 

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गहलोत पर निशाना लगा रहे:
 

अशोक गहलोत के विरोधी गुट के नेता अब मेवाराम के बहाने गहलोत पर निशाना साध रहे है। उससे साफ दिख रहा है कि पायलट गुट को मेवाराम के बहाने गहलोत को घेरने का मौका मिल गया है। 
 

डोटासरा का मौन भी गजब:
 

इस पूरे प्रकरण में पार्टी स्तर पर नेता एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे है। पोस्टर, होर्डिंग लगे है फिर भी संगठन मुखिया होने के बाद भी गोविंद डोटासरा चुप है। ये चुप्पी भी राजनीतिक मानी जा रही है। क्योंकि मेवाराम ने अपने पर हुए राजनीतिक हमले के जवाब में कांग्रेस की जाट राजनीति पर हमला बोला है।
 

पायलट केवल तमाशा देख रहे:

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कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट भी इस मुद्दे पर चुप है और घिरते गहलोत को देखकर मुस्कुरा रहे है। उनके गुट के नेता मेवाराम व उनके बहाने गहलोत पर निशाना साध रहे है, मगर वे खुद कुछ नहीं बोल रहे।
 

आंच जयपुर से दिल्ली तक:
 

मेवाराम प्रकरण की आंच अब जयपुर से दिल्ली तक पहुंच गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता हेमाराम चौधरी ने आलाकमान के सामने अपनी बात पुख्तगी से रख दी है। अभी दिल्ली में पायलट लॉबी हावी है। लगता है, दिल्ली के स्तर पर अब इस मामले में कुछ तो ड्रामेटिक निर्णय होगा। जिसका असर प्रदेश की कांग्रेस राजनीति पर भी सीधा पड़ेगा।