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Bikaner : त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के रचनाकार ने किया शानदार रचना पाठ

 

RNE Bikaner.

नगर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को समर्पित संस्थान श्री जुबिली नागरी भण्डार सरस्वती मंदिर परिसर में नागरी भण्डार पाठक मंच द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर शरद महोत्सव का आयोजन रखा गया। महोत्सव के प्रेस प्रभारी शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि देर रात्रि तक चला शरद महोत्सव का यह आयोजन राष्ट्रीय कवि चौपाल के संस्थापक कवि, समाजसेवी, भामाशाह एवं प्रसिद्ध उद्योगपति कीर्तिशेष नेमचंद गहलोत को समर्पित किया गया। इस अवसर पर नगर के तीन पीढ़ियों के तीन भाषाओं के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के रचनाकारों ने त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में अपनी रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से श्रोताओं की भरपूर वाह वाही लूटी।

क़ासिम ने बताया कि कवि सम्मेलन एवं मुशायरा की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब ने की। इस मौके पर अदीब ने 'कितना है पुरवक़ार शरद पूर्णिमा का चांद' ग़ज़ल के शेर सुना कर भरपूर तालियां बटोरी। मुख्य अतिथि बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास थे। विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध सितार वादक डॉक्टर एसिड गोस्वामी एवं झुंझुनू के जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह थे। डॉ. असित गोस्वामी ने इन एबिलिटी शीर्षक से अंग्रेजी की रचना प्रस्तुत की जिसे ख़ूब सराहना मिली। हिमांशु सिंह ने 'ज़रूरतें तय करती है वफ़ा की किश्तें' रचना से काव्य गोष्ठी में नया रंग भरा। 
 

कमल रंगा ने राजस्थानी रचना के प्रस्तुतीकरण से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। बुनियाद हुसैन ज़हीन की 'सच है कि है खिलखिलाता झूट' ग़ज़ल पसंद की गई। संजय पुरोहित ने सबके अपने-अपने मौन हैं अपनी अपनी पीड़ाएं' रचना से श्रोताओं को गहरे चिंतन मनन के लिए मजबूर कर दिया। आपने श्रोताओं की फरमाइश पर स्वर्गीय की कालजयी रचना पणिहारी के कुछ अंश भी सुनाए।
 

शायर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ग़ज़ल के शे'र 'क़मर के हुस्न की क्या बात होती है वल्लाह/नदी में, झील में, सागर में जब भी दिखता चॉंद' के प्रस्तुतीकरण से शरद पूर्णिमा के चांद के विभिन्न रूप सामने रखे। शेयर अमित गोस्वामी ने 'इक तरफ मेरी अना इक तरफ उसका ग़ुरुर' रचना से श्रोताओं की भरपूर तारीफ़ें पाईं। कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में राजेंद्र जोशी, राजाराम स्वर्णकार, गंगा विशन बिश्नोई 'ब्रहमा', असद अली असद, शकील ग़ौरी, इमदादुल्लाह बासित, एडवोकेट इसरार हसन क़ादरी, इस्हाक़ ग़ौरी शफ़क़, जुगल किशोर पुरोहित, शमीम अहमद शमीम, अब्दुल शकूर सिसोदिया एवं समीर गोयल ने रचना पाठ किया और श्रोताओं को आनंद के सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर दिया।
 

इससे पूर्व कार्यक्रम का आगाज प्रसिद्ध संगीतज्ञ गौरी शंकर सोनी ने मां शारदे की वंदना से किया। पूर्व पार्षद नरेंद्र सोलंकी ने अपने गीत के जरिए श्रोताओं को आनंदविभोर कर दिया।
श्रोताओं के रूप में नागरी भण्डार के व्यवस्थापक नंदकिशोर सोलंकी, सुशील शर्मा, गोपाल गौतम, छगन सिंह, नरेंद्र सोलंकी, देवकिशन गहलोत, विकास परीक, उमेश तंवर, मोतीलाल हर्ष, पवन कुमार भाटी, विकास भाटी, दमयंती सुथार, दिव्यकीर्ति पालीवाल, मनोज पालीवाल, रामकिशन सुथार, सुनील सेठिया, गर्वित कंसारा, त्रिलोक गहलोत, देवकिशन गहलोत, कन्हैया लाल, डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान, भास्कर आचार्य, आसुराम मोदी, छोटू खान खोखर, शंकर लाल मेघवाल, सुरेश आचार्य, केदारनाथ एवं सुधा सुथार मौजूद थे।

 

प्रोग्राम के अंत में प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम का सफल एवं सरस संचालन संजय पुरोहित एवं क़ासिम बीकानेरी ने संयुक्त रूप से किया।

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