ज़ाकिर अदीब की शायरी मानवीय पीड़ा की सच्ची पैरोकार है-कमल रंगा
RNE Bikaner.
प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपने गत साढे चार दशकों की सृजनात्मक एवं रचनात्मक यात्रा में नव पहल व नवाचार के तहत इस बार ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम जो कि पुस्तक संस्कृति एवं आलोचना विधा को को समर्पित है। जिसकी दूसरी कड़ी स्थानीय नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में आयोजित हुई।
उक्त आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कहा कि ज़ाकिर अदीब की शायरी, मानवीय पीडा की सच्ची पैरोकार है। आपकी ग़ज़लें समकालीन सवालों से मुठ्भेड़ करती हुई सूक्ष्म संवेदना की पड़ताल करती है। आपकी शायरी परिवार एवं सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ वैश्विक संदर्भ तक अपने कथ्य को अपने अलग मुहावरे के साथ पाठकों को सौंपती है।
रंगा ने आगे कहा कि आपकी शायरी आम आवाम की आवाज बनकर आज की गंदी राजनीति व्यवस्था, विडम्बना एवं विसंगतियों आदि के खिलाफ मुखर होकर पाठक से एक रागात्मक रिश्ता जोड़ती है।
जाकिर अदीब के नए ग़ज़ल संग्रह ‘एहसास का दरिया’ पर बतौर मुख्य वक्ता अपनी आलोचनात्मक विचार रखते हुए वरिष्ठ शायर डॉ. जिया उल हसन कादरी ने कहा कि आपकी शायरी उम्दा तो है ही साथ ही आप विभिन्न विषयों को लेकर ग़ज़ल कहने में माहिर है। आपकी शायरी का प्रमुख स्वर गलत व्यवस्था आदि के खिलाफ है। शायरी आपको विरासत में मिली है। डॉ. जिया ने आगे कहा कि ऐसे आयोजन से पुस्तक संस्कृति एवं आलोचना विधा को संबल मिलता है। जिसके लिए प्रज्ञालय संस्थान साधुवाद की पात्र है।
पुस्तक पर संक्षिप्त आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए संवादी वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने ज़ाकिर अदीब की सभी ग़ज़लों पर अपनी बात कहते हुए कहा कि आप परंपरागत शैली के साथ नव बोध की शायरी रचते है। इसी क्रम में पुस्तक पर अपनी आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए संवादी वरिष्ठ शायर रवि शुक्ल ने कहा कि ज़ाकिर अदीब अपनी शायरी में विभिन्न बेहरों को प्रयोग करते हुए विभिन्न विषयों पर केन्द्रित बेहतरीन शायरी करते हैं। आपकी भाषा अच्छी है।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने पुस्तकालोचन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से साहित्यिक और सांस्कृतिक समृद्ध वातावरण को नव संबल मिलेगा। यह एक नवाचार एवं नव पहल है।
‘एहसास का दरिया’ पुस्तक के रचनाकार ज़ाकिर अदीब के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए एड. इसरार हसन कादरी ने उन्हें नेक इंसान एंव उम्दा शायर बताया।
इसी क्रम में संयोजन करते हुए कवि गिरिराज पारीक ने पुस्तकालोचन कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया।
पुस्तकालोचन के महत्वपूर्ण आयोजन मंे कवि साहित्यकार एवं गणमान्यों की साक्षी रही यथा डॉ. नृसिहं बिन्नाणी, डॉ. फारूख चौहान, एड. गंगाबिशन बिश्नोई, डॉ. मूलचंद बोहरा, शकूर बीकाणवी, वली गौरी, अविनाश व्यास, बुनियाद हुसैन, जुगल किशोर पुरोहित, मदन जैरी, गोपाल कुमार कंुठित, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, तोलाराम सारण, अख्तर अली, घनश्याम ओझा, हारून शेख, रज्जाक, एड. इसरार हसन कादरी, डॉ. नमामी आचार्य, नवनीत व्यास आदि की सकारात्मक सहभागिता रही।
कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया एवं अंत में सभी का आभार डॉ. फारूख चौहान ने ज्ञापित किया।