बजरंग विहार : बदबूदार पानी में घिरे परिवारों का दर्द-सब जानते थे गंदा पानी आएगा, पानी आया तो कोई संभालने नहीं पहुंचा
एड. मनोज आचार्य
- डिप्टी मेयर राजेन्द्र हालात देख दुखी हुए, अधिकारियों से बोले-यहां इंसान रहते है, इनकी सुध तो लो
RNE Ground Report
दूर तक पसरा गंदा पानी। सड़ांध इतनी कि नाक पर रूमाल रखने को जी चाहे। छतों पर बैठे लोग उन रास्तों की ओर ताक रहे हैं जहां से कुछ राहत की उम्मीद है लेकिन कहीं कोई राहत नजर नहीं आ रही। पानी मंे घिरे घर की बालकनी में खड़े एक आदमी ने जोर से चिल्लाकर पूछा, कोई जेसीबी मशीन, पंप वगैरह आ रहे हैं क्या? दूसरे ने जवाब दिया, ये तो मीडिया वाले हैं। कवरेज करने आये हैं।
पहले शख्स का गुस्सा फूटा, क्या हो जाएगा कवरेज से! सबको पता था कि नाले की पाल टूटेगी सीवरेज का पानी आयेगा और बस्ती डूब जाएगी। कलेक्टर से लेकर अफसर तक बार-बार मौका देखने आते रहे। बातें करते रहे। जब पानी आया और बस्ती डूबी तो 24 घंटे हो गए हैं कोई संभालने नहीं आ रहा। दूसरे ने तंज कसा-अभी चुनाव नहीं है ना!
ये हालात है बीकानेर की उस बस्ती का जिसका नाम है बजरंग विहार कॉलोनी। कॉलोनी से थोड़ी दूरी पर बने गंदे पानी के तालाब का जलस्तर पिछले कई दिनों से लगातार बढ़ रहा था। पूरी आशंका थी कि पाल टूटी तो पानी बस्ती में आएगा और यही हुआ। बीती देर रात जब लोग गहरी नींद में थे तब पाल टूटी। भारी मात्रा मंे पानी बहकर इस बस्ती में आ गया और सुबह जब लोग उठे तो उनके घर चारों ओर से गंदे पानी से घिरे थे।
स्कूल की गाड़ी घरों तक नहीं आ सकी। घरों से कोई बाहर नहीं निकल पाएं। न दूध आया न सब्जी। रही-सही कसर बिजली ने पूरी कर दी। ट्रांसफार्मर जल जाना या बस्ती डूबी होना, कोई भी कारण हो सुबह से बिजली बंद है। लगभग 24 घंटे बीत चुके हैं अभी पानी निकालने का कोई प्रयास शुरू नहीं हुआ है। लोगों में गुस्सा है, कोई अधिकारी-जनप्रतिनिधि यहां मौके पर क्यों नहीं आ रहा!
इस बीच मौके पर पहुंचे डिप्टी मेयर राजेन्द्र पंवार हालत देखकर हैरान रह गये। गाड़ी बस्ती में नहीं जा सकती। सड़क से ही कॉलोनी के लगभग चारों ओर चक्कर लगाया। कमिश्नर को फोन लगाया तो जवाब मिला, अभी कुछ दिन और छुट्टी पर हूं। संभवतया दूसरा फोन एडिशनल कमिश्नर को लगाया, शायद उधर से जवाब मिला-जल्द व्यवस्थाएं कर रहे हैं। नाराजगी जताते राजेन्द्र बोले, मौक पर कुछ लोग, मशीनें तो होनी चाहिए। यहां फंसे लोगों को थोड़ा विश्वास तो दिलाना चाहिये। ये भी इंसान है।
दूर एक मकान की छत पर खड़ी महिला ने हाथा हिलाकर इशार किया। वे पूछ रही थी, क्या पानी निकालने का कोई बंदोबस्त हो रहा है। डिप्टी मेयर पंवार ने दोनों हाथ उठाकर जोड़ते हुए सांत्वना दी-जल्द बंदोबस्त होगा। धैर्य रखें।
यहां रह रहे एक परिवार के फोन नंबर लेकर बात की तो दूसरी ओर परिवार की महिला ने फोन उठाया। नाम पूछा तो बोली, चांदनी स्वामी मेरा नाम है। रात को पानी कब आया ये तो पता ही नहीं चला सुबह उठे तो घर के चारों ओर पानी था। बरसाती पानी हो तो जैसे-तैसे इसमें से निकलने की भी कोशिश करें सीवरेज के सड़ांध मारते पानी में बाहर कैसे निकले। इंतजार कर रहे हैं। अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। सुबह से दूध, सब्जी कुछ नहीं आ सका। बच्चे स्कूल नहीं जा सके। लाइट नहीं है। जल्द ही कुछ उपाय नहीं हुए तो हालत बिगड़ जाएगी।
डिप्टी मेयर राजेन्द्र बोले, वाकई हालत बुरे हैं –
मौके पर पहुंचे डिप्टी मेयर राजेन्द्र पँवार बोले, वाकई हालत बहुत बुरी हो चुकी है। अधिकारियों स बात की है। उनका कहना है जल्द बंदोबस्त कर रहे है। मैं मानता हूँ कि राहत जल्द पहुंचनी चाहिये। इस बारे में सभी उच्चाधिकारियों से बात कर रहा हूँ।
कुल मिलकर अगर कहा जाए कि बीकानेर की यह बस्ती प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण डूबी है। अब भी पूरा इलाका नरजंदाजी का शिकार है। अगर 24 घंटे में फंसे हुए लोगों तक राहत नहीं पहुंच पायें तो आपदा नियंत्रण और राहत की बातों के कितने मायने हैं, इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।