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Bikaner: शहीद मेजर जेम्स थॉमस की प्रतिमा का बीकानेर में सांकेतिक अनावरण, 19 वर्षों के संघर्ष को मिली ऐतिहासिक सफलता

RNE Bikaner.

आज बीकानेर के कैप्टन चंद्र चौधरी शहीद स्मारक पर कीर्ति चक्र से सम्मानित वीर शहीद मेजर जेम्स थॉमस की प्रतिमा का सांकेतिक अनावरण किया गया। यह ऐतिहासिक क्षण सैकड़ों देशभक्तों, युवाओं और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। स्मारक परिसर “भारत माता की जय” और “मेजर साहब अमर रहें” जैसे नारों से गूंज उठा।

सुबह से ही प्रदेश के विभिन्न कोनों—कोटा, जयपुर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सार्दुलपुर, केरल, दिल्ली, मुंबई आदि—से लोग स्मारक स्थल पर पहुंचने लगे थे। दोपहर 4 बजे गुड़गांव से पधारे राजर्षि राजेन्द्र सिंह नेरूका ने “वन्दे मातरम्” के उद्घोष के साथ प्रतिमा का सांकेतिक अनावरण किया। कार्यक्रम की शुरुआत मेजर जेम्स थॉमस के घर की मिट्टी से तिलक और माल्यार्पण से की गई।

सम्मान और संघर्ष की कहानी:

राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता गोवर्धन सिंह ने शहीद मेजर जेम्स की 88 वर्षीय माता श्रीमती मेरी कुट्टी थॉमस की मार्मिक कहानी सुनाई, जिससे पूरा सभागार भावुक हो उठा। उन्होंने अपील की कि मई माह तक स्थायी मंच का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाए, जिससे राष्ट्रपति महोदय को आमंत्रित कर प्रतिमा का भव्य अनावरण किया जा सके।

सेवानिवृत्त कर्नल देवानंद लोमरोड़ ने जानकारी दी कि मेजर थॉमस 10 शिकलाई रेजिमेंट से थे और उनकी रेजिमेंट अक्टूबर में बीकानेर आएगी। उस अवसर पर उपराष्ट्रपति महोदय के कर-कमलों से प्रतिमा का उद्घाटन करने की योजना है।रामराज्य मिशन के राजेन्द्र सिंह नेरूका ने कहा कि “आज के युग में देश को मेजर थॉमस जैसे राष्ट्रभक्तों की आवश्यकता है, ताकि हम अधिकारों के लिए सजग और सक्रिय रह सकें।”

19 वर्षों की प्रतीक्षा—अब जाकर पूरी हुई एक माँ की अभिलाषा:

रामदयाल राजपुरोहित, जिन्होंने पिछले 19 वर्षों से शासन और प्रशासन से पत्राचार करते हुए इस संघर्ष को जिंदा रखा, ने कहा, “यह हमारे धैर्य की पराकाष्ठा है। हजारों पत्रों के बाद आज वह क्षण आया है जब शहीद की माँ की वर्षों पुरानी इच्छा पूरी हुई।”

संघर्ष समिति के सीताराम चौधरी ने बताया कि जब माता जी को यह खबर दी गई कि प्रतिमा के लिए भूमि मिल गई है, तो उनकी आँखों में आँसू थे और उन्होंने सभी का मुँह मीठा करवाया।

कोटा से पधारे एडवोकेट श्याम बिहारी ने कहा, “यह केवल मेरी नहीं, कोटा की पूरी जनता की भावना है। हम प्रतिमा स्थापना पर ताम्रपत्र पर सम्मान संदेश लेकर आएंगे।”विचार, श्रद्धा और मौन श्रद्धांजलि:

एडवोकेट मनीष गौड़ ने कहा, “यदि प्रशासन समय रहते भूमि आवंटित कर देता तो यह कार्यक्रम वर्षों पहले ही हो जाता।”

पवन पारीक ने सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखवाकर शहीद को श्रद्धांजलि दी।विशिष्ट उपस्थितियाँ:

इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां उपस्थित रहीं, जिनमें प्रमुख रूप से—

रामदयाल राजपुरोहित, सीताराम सियाग, पवन पारीक, अधिवक्ता परमेश्वर पिलानियां (जयपुर), अधिवक्ता श्याम सुंदर (कोटा), विनोद पांडेय, राजेन्द्र सिंह, सोमदत्त आचार्य, कैलाश आचार्य, अवनीश मारू, धनपत मारू, पूनम सिंह, मनीष गौड़, परमेंद्र सिंह, अकरम खान, मनीषा विश्नोई, खुशी पंवार, चेतना जोशी, छोटू राम, नवरत्न सिंह, गंगा सिंह, रविंद्र सिंह, कांग्रेस नेता सुभाष स्वामी, डॉ. सिद्धार्थ असवाल, कवि शिव दाधीच आदि शामिल रहे।

यह आयोजन न केवल एक वीर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर बना, बल्कि यह भी साबित किया कि जनता के अडिग संकल्प और संघर्ष से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।