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Bikaner : एक किलो वजन, श्वास में तकलीफ, सेप्टीसीमिया सहित कई दिक्कतों से जूझ रहे नवजात का इलाज

RNE Bikaner.

बीकानेर में एसडीएम जिला हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने कम वजन सहित स्वास्थ्य की गंभीर स्थितियों से जूझ रहे नवजात का 40 दिन इलाज कर उसे स्वस्थ करने में सफलता हासिल की है। शुक्रवार को नवजात को डिस्चार्ज किया गया तो परिजनों के साथ ही डॉक्टर्स के चेहरे पर भी सुकून नजर आया। डॉक्टर बोले, नियोनेटल आईसीयू (NICU) की सुविधा उपलब्ध होने से बेहतर इलाज कर नवजात को स्वस्थ करने में सहयोग मिला।

मामला यह है :

एसडीएम जिला हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर सुनील हर्ष ने बताया, राजकीय जिला अस्पताल में पहली बार एक किलोग्राम वजनी नवजात शिशु का सफल उपचार कर डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल के एसएनसीयू प्रभारी डॉ. प्रवीण चतुर्वेदी ने बताया कि 3 नवंबर 2024 को लेबर रूम में एक किलोग्राम वजनी नवजात शिशु का प्रसव करवाया गया था। अत्यंत कम वजन, श्वसन प्रणाली में कठिनाई और सेप्टीसीमिया की स्थिति होने के कारण नवजात शिशु को अस्पताल में संचालित विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में इलाज हेतु भर्ती किया गया था। लगभग 40 दिन अस्पताल में लगातार इलाज के पश्चात आज दिनांक 13 दिसंबर को शिशु का वजन 1.5 किलोग्राम होने तथा स्थिति बिल्कुल सामान्य होने पर डिस्चार्ज किया गया।

फ्री हुआ इलाज :

अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील हर्ष ने बताया कि उक्त नवजात शिशु का संपूर्ण इलाज मुख्यमंत्री निरोगी राजस्थान योजना एवं मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के द्वारा पूर्णतया निशुल्क किया गया। इस दौरान नवजात शिशु के माता पिता और परिजनों द्वारा एक महीने से ज्यादा चले सफलतापूर्वक उपचार के लिए अस्पताल प्रशासन और एसएनसीयू टीम का आभार व्यक्त किया।

डॉ. सुनील हर्ष ने बताया कि जिला अस्पताल में करीब तीन वर्ष पूर्व एनएचएम द्वारा नवजात शिशुओं की जन्म के समय हुई जटिलताओं के इलाज के लिए एसएनसीयू और एमएनसीयू का निर्माण करवाया गया था जिसे पिछले सात माह से प्रायोगिक तौर पर अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के इलाज के लिए चलाया जा रहा है।

अब तक 250 का इलाज :

इस इकाई में संचालन शुरू करने के पश्चात वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण चतुर्वेदी, सीनियर रेजिडेंट डॉ मनीष पुष्करणा, चिकित्सा अधिकारी डॉ अमृता भार्गव की देखरेख में नर्सिंग प्रभारी अमित वशिष्ठ एवं अन्य की टीम द्वारा नवजात शिशुओं के पीलिया, सेप्टीसीमिया, सीजर, श्वसन प्रणाली संबंधी दिक्कतों से संबंधित 250 से अधिक बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। इस यूनिट के संचालन के माध्यम से बीकानेर शहर के उन निवासियों को राहत मिली है जिन्हें प्राइवेट क्षेत्र मे नियोनेटल आइसीयू मे उपचार हेतु लाखों रुपए खर्च करने पडते है।