Skip to main content

BIKANER : एक महीने से मरी मछलियां उगल रहा तालाब, अब पूरा पानी निकालना शुरू

राहुल हर्ष की ग्राउंड रिपोर्ट

RNE, KOLAYAT .

धार्मिक महत्व के कारण देशभर में खास पहचान रखने वाले बीकानेर के कोडमदेसर तालाब का पानी इतना जहरीला हो चुका है उसे अगर गलती से ही किसी ने पी लिया तो जान पर खतरा हो सकता है। यहां जो भी पक्षी पानी पीने उतर रहे हैं उनकी मौत हो रही है। इतना ही नहीं तालाब की सारी मछलियां मर चुकी है।

एक महीने से मरी मछलियों के कारण पूरे गांव में गंध फैल रही है। हालांकि मरी मछलियां निकालने का क्रम लगभग 20 दिन पहले शुरू हुआ और हजारों मछलियां निकालकर गड्ढा खोदकर उसमें दफन करते गये लेकिन मौतों का सिलसिल रूक नहीं रहा है।

हर दिन हजारों की तादाद में नई मरी मछलियां पानी के ऊपर तैरती दिख रही है। ऐसे में प्रशासन और विशेषज्ञों ने यह मान लिया है कि तालाब का पानी पूरी तरह प्रदूषित और जहरीला हो चुका है। बेहतर यही होगा कि बारिश में नये पानी की आवक से तालाब लबालब हो उससे पहले इस पानी को निकाल दिया जाये। ऐसा नहीं किया गया तो बारिश का नया पानी भी इस पुराने पानी के साथ मिलकर जहरीला हो जाएगा।

ऐसे में शनिवार को इस तालाब पर बड़े पंप, मोटर लगा दिये और पानी खाली करने का काम शुरू किया गया है। माना जा रहा है कि पूरा पानी निकालने में तीन से चार दिन लगेंगे।

50 बीघा के तालाब का ये हाल :

कोडमदेसर भैरूनाथ मंदिर के समीप 50 बीघा के तालाब में मछलियों के मरने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। अब यह माना जा रहा है कि सभी मछलियां काल का ग्रास बन गई है। जहां एक ओर मछलियों के मरने से गांव में फैली दुर्गन्ध से ग्रामीण व भक्त परेशान है वही ग्राम पंचायत व प्रशासन स्थिति को संभालने कि जुगत में जुटे हुए है।

सरपंच प्रतिनिधि जेठाराम ने बताई ये परेशानी :

ग्राम पंचायत सरपंच प्रतिनिधि जेठाराम कुम्हार के अनुसार कई दिनों से मारी हुई मछलियों को निकलवाकर गड्ढे में डाला जा रहा है। सरोवर कि सभी मछलियां मर चुकी है। मरने का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। पूरे गांव में बदबू फैली हुई है। मंदिर में सुबह शाम आने वाले श्रद्धालु तथा पुजारी को भी काफ़ी परेशानी हो रही है।

अधिकारियो ने डाला डेरा, एसडीएम कर रहे मॉनिटरिंग :

विकास अधिकारी वीरपाल सिंह के नेतृत्व में सहायक विकास अधिकारी भवानी सिंह, ग्राम विकास अधिकारी सुनील सुथार, जेईएन की टीम लगातार जुटी हुई है। विकास अधिकारी वीरपाल सिंह ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में मछलियों के मरने का कारण स्पष्ट तो नहीं है लेकिन सरोवर में कम पानी के कारण पानी का तापमान अधिक होने तथा सरोवर में ऑक्सीजन लेवल कम होना कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिन से वह तथा उनकी टीम कोडमदेसर में स्थिति को संभालने में जुटे है। एसडीएम राजेंद्र कुमार मामले कि लगातार मॉनिटरिंग कर रहे है।

इसलिए सरोवर को कर रहे है खाली :

विकास अधिकारी वीरपाल सिंह ने कहा कि सरोवर का पानी बहुत ज्यादा गन्दा हो गया है। जलीय जीव सांस नहीं ले पा रहे है। ऐसे में सरोवर को खाली करना ही एकमात्र उपाय है। इसको लेकर ग्राम पंचायत द्वारा पंपिंग करवाकर सरोवर का गन्दा पानी बाहर निकाला जा रहा है। तीन दिन से मछलियां निकाल रहे है श्रमिक।

सरपंच प्रतिनिधि जेठाराम कुम्हार ने बताया कि एक बार फिर 11 मजदूर पिछले तीन दिनों से मछलियां निकाल रहे है। लेकिन पूरी मछलियां अभी तक नहीं निकाली जा सकी है।

Rudra News Express की अपील : तालाब को साफ रखें

26 जून को मत्स्य विभाग के क्षेत्रीय विकास अधिकारी पूर्णाराम प्रजापत कोडमदेसर मछलियों के मरने का कारण जानने पहुंचे थे। तब उन्होंने आशंका जताई थी कि सरोवर में प्लास्टिक, तेल, सिंदूर डालने से पानी गन्दा तथा जलीय जंतु के मरने का कारण बन जाता है। आरएनई अपने पाठको से अपील करता है कि सरोवर में तेल, सिंदूर, प्लास्टिक या अन्य वस्तु ना डाले।