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राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल एसएमएस का मामला: तीन डॉक्टर एपीओ, नर्सिंग ऑफिसर सस्पेंड

आरएनई, नेटवर्क।

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में मौत से जूझते हुए 23 साल के सचिन आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। एक परिवार का उजियारा चला गया वहीं प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल और चिकित्सा प्रशासन पर छोड़ गया कभी न मिटने वाला दाग। यह दाग है, उस लापरवाही का है जिसने सचिन की जान ले ली। दरअसल ‘ओ-पॉजिटिव’ ग्रुप वाले सचिन शर्मा को ‘एबी-पॉजिटिव’ ब्लड चढ़ा दिया। इससे किडनी, लीवर खराब हो गए और वह मल्टी ऑर्गन फेल्योर में चला गया। आखिरकार आईसीयू के बिस्तर पर दम तोड़ दिया। सरकार ने तीन डॉक्टर को एपीओ और एक नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड करने के साथ जांच बिठाई है।

मामला यह है :

बांदीकुई के 23 वर्षीय सचिन शर्मा का एक्सीडेंट में पैर कुचल गया। उसे कोटपुतली से जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल लाया गया था। ट्रोमा सेंटर मंे इलाज चल रहा था। वह ठीक हो रहा था। रिकवरी के लिए प्लास्टिक सर्जरी प्लान की गई और डॉक्टर्स ने खून और प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत बताई। ट्रोमा सेंटर ने दूसरे रोगी की पर्ची मरीज के रिश्तेदार को थमा दी जिसका ब्लड ग्रुप ‘एबी-पॉजिटिव’ था। वही ब्लड सचिन को चढा दिया गया जबकि उसक ब्लड ग्रुप ‘ओ-पॉजिटिव’ था। इससे कुछ ही देर में हालत बिगड़ने लगी। लीवर, किडनी खराब होने लगे। आईसीयू में शिफ्ट किया जहां आज उसने दम तोड़ दिया।

तीन डाक्टर एपीओ, नर्सिगकर्मी सस्पेंड :

इस घटना में अस्टिरोग विशेषज्ञ डा.एस.के.गोयल, रेजीडेंट डॉक्टर दौलतराम और ऋषभ को एपीओ किया गया है। इसके साथ ही नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार को सस्पेंड कर जांच कमेटी को जांच सौंपी है।

विप्र महासभा धरने पर :

सचिन शर्मा अपने घर का इकलौता कमाने वाला था। पिता की किडनी भी पहले खराब हो चुकी थी। हॉस्पिटल की लापरवाही से उसकी मौत होने पर आक्रोशित ब्राह्मण संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। विप्र महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील उदेइया, महामंत्री मनीष मुद्गल, परशुराम सेना के अध्यक्ष अनिल चतुर्वेदी आदि परिजनों के साथ मोर्चरी के आगे धरने पर बैठ गए।

जांच कमेटी ने माना गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाया :

सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती मरीज श्री सचिन शर्मा को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के मामले में दोषी पाये गये एक नर्सिंग ऑफिसर को राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और तीन चिकित्सकों को एपीओ किया है।
इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा श्रीमती शुभ्रा सिंह की ओर से जारी आदेश के अनुसार प्रकरण में प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, मेडिकल कॉलेज, जयपुर द्वारा गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में अस्थि रोग विभाग के सह आचार्य डॉ. एस.के. गोयल, इन सर्विस रेजीडेन्ट डॉ. दौलतराम एवं डॉ. रिषभ चलाना तथा नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा को दोषी पाया। डॉ. एस.के. गोयल, डॉ. दौलतराम एवं डॉ. रिषभ चलाना को तत्काल प्रभाव से पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा में रखा गया है। डॉ. गोयल का मुख्यालय निदेशालय, चिकित्सा शिक्षा तथा डॉ. दौलतराम एवं डॉ. रिषभ चलाना का मुख्यालय निदेशालय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, जयपुर रखा गया है।
सवाई मानसिंह अस्पताल के पोलीट्रोमा वार्ड के नर्सिंग ऑफिसर श्री अशोक कुमार वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनका मुख्यालय निदेशक (अराजपत्रित), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं जयपुर रखा गया है।

गलत खून चढ़ाने के ये जिम्मेदार :

मामला सामने आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह ने जांच के लिए तत्काल प्रभाव से कमेटी गठित करने के निर्देश दिये थे। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मरीज श्री सचिन शर्मा का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव था और उसने एबी पॉजिटिव ग्रुप की 1 यूनिट पीआरबीसी और 1 यूनिट एफएफपी भी प्राप्त की। रिपोर्ट के अनुसार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए सैम्पल नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा द्वारा लिया गया। रेजीडेन्ट डॉ. रिषभ चलाना ने मरीज की बीएचटी पर कोई नोट्स नहीं लिखे। साथ ही ऑन कॉल सह आचार्य डॉ. एस.के. गोयल ने सर्जरी से पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन पैरामीटर्स पर ध्यान नहीं दिया। डॉ. दौलतराम जो 15 फरवरी की रात को ट्रोमा ब्लड बैंक में ड्यटी पर थे, उन्होंने गलत ब्लड ग्रुप के बारे में उच्च अधिकारियों को जानकारी नही दी।