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संविदा शिक्षकों को भजनलाल सरकार का तोहफा, महात्मा गांधी स्कूलों में लगे सहायक अध्यापकों को गर्मी की छुट्टी-तनख्वाह मिलेंगे

RNE, BIKANER . 

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने स्कूलों में संविदा पर लगे सहायक शिक्षकों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने घोषणा की है कि इन कांट्रेक्ट टीचर्स को अब गर्मी की छुट्टियां और इन छुट्टियों का मानदेय भी मिलेगा। सरकार के इस आदेश का लाभ महात्मा गांधी इंग्लिश मीडिया स्कूलों में संविदा पर लगे सैकड़ों सहायक शिक्षकों को सर्वाधिक मिलेगाा।

क्या है आदेश, किसे, कब, कैसे मिलेगा लाभ :

राजस्थान सरकार के उप सचिव बृजरतन अग्रवाल के हस्ताक्षर से माध्यमिक शिक्षा निदेशक के नाम आदेश जारी किया गया है। इसमें राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 का जिक्र किया गया है। आदेश में कहा गया है कि इस नियम के अंतर्गत नियुक्त सहायक अध्यापक लेवल-द्वितीय अंग्रेजी-गणित तथा सहायक अध्यापक लेवल-प्रथम को इन नियमों में ग्रीष्मावकाश के पारिश्रमिक का भुगतान किये जाने की स्वीकृति दी जाती है।

दिसंबर 2023 से पहले नियुक्त शिक्षकों को मिलेगा लाभ:

इस आदेश के मुताबिक जिन शिक्षकों ने दिसंबर 2023 से पहले कार्यग्रहण् किया है और 31 दिसंबर 2024 तक नियमित कार्य करते रहेंगे उन्हें ही ग्रीष्मावकाश के पारिश्रमिक का का लाभ मिलेगा।

यह कहते हैं शिक्षक नेता : 

महेन्द्र पाण्डे महामंत्री राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ

दरअसल महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में जुलाई 2023 में संविदा पर लगाए गए सहायक अध्यापकों को अधिकांश स्कूलों में ग्रीष्मावकाश का मानदेय नहीं दिया गया था। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के मुख्य महामंत्री महेन्द्र पाण्डे ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन देकर अवगत करवाया था कि इन संविदा के पदों पर स्वयं अंग्रेजी माध्यम से पड़े हुए प्रशिक्षित शिक्षकों को एक वर्ष के लिए नियुक्ति दी गई थी सरकार के नियम अनुसार 31 दिसंबर तक नियुक्ति तथा जॉइनिंग वालों को ग्रीष्मावकाश का वेतन दिया जाता है।

संविदा पर लगे इन शिक्षकों को 9 वर्ष बाद अगला मानदेय दिया जाना है वित्त संबंधी नियमों के अनुसार नियमित मानदेय मिलने पर ही अगला मानदेय दिया जा सकेगा। इसलिए संगठन ने मांग रखी थी कि इन 1 वर्ष के लिए नियुक्त तथा फिर 1 वर्ष और आगे बढ़ाएं गए सहायक अध्यापकों को ग्रीष्मावकाश 2024 का मानदेय दिया जाना चाहिए। संगठन के ज्ञापन पर निदेशालय बीकानेर से सरकार को पत्र भेजने पर यह निर्णय हो पाया है।