गुड़-चीनी पर टैक्स खत्म: 1.6 प्रतिशत टैक्स खत्म होने का असर हर घर से लेकर मिठाई उद्योग तक होगा
आरएनई, बीकानेर।
हालांकि राजस्थान का वार्षिक बजट अभी जुलाई में आएगा लेकिन अभी अंतरिम या तीन महीने का कामकाज चलाने के लिए भजनलाल सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें एक निर्णय ऐसा है जिसने सबका ध्यान खींचा है। यह निर्णय है गुड़-चीनी पर मंडी टैक्स खत्म करना। ‘आरएनई’ ने इस टैक्स की बारीकियां कृषि मंडी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं भाजपा नेता मोहन सुराणा और मंडी में लगातार तीन टर्म से अनाज कमेटी के अध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल से जानी बारीकियां:टैक्स हटाने की लंबे समय से मांग थी, सरकार का साधुवाद: सुराणा
सबसे पहले यह जान लीजिये कि मंडी टैक्स वह होता है तो किसान की उपज आने और मंडी में बिकने पर लगने वाला टैक्स है। इसमें सीधे तौर पर खेत में पैदा होने वाली चीजें हैं। अब बात गुड-चीनी के टैक्स की करें तो ये दोनों ही चीजें ऐसी नहीं है तो खेत में पैदा होती है। हां, गन्ने की उपज होती है। उस पर टैक्स लग चुका है। ये फैक्ट्री उत्पाद है। ऐसे में इन पर मंडी टैक्स लगना व्यवहारिक ही नहीं था। व्यापारी-किसान लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। पूर्ववती गहलोत सरकार के सामने बीसियों बार यह मांग रखी गई लेकिन यह सामान्य तर्क सरकार ने नहीं माना। टैक्स बरकरार रखा। ऐसे में भाजपा की भजनलाल सरकार का यह सकारात्मक होने के साथ ही व्यवहारिक कदम है। इससे आम आदमी को भी राहत मिलेगी।हर घर को मिलेगा लाभ: अग्रवाल
चीनी-गुड़ पर मंडी टैक्स 1.6 प्रतिशत है। यह टैक्स क्यों है? जबकि गुड़-चीनी कृषि उपज नहीं है। व्यापारी इसके लिए बार-बार सभी मंचों पर अपनी बात रखते रहे हैं। हमने कई बार पूरे प्रदेश स्तर पर यह मांग उठाते हुए सरकार को ज्ञापन दिया। देर आयद, दुरूस्त आयद की तर्ज पर कहें तो अब अच्छा निर्णय हुआ है। इसका लाभ सिर्फ व्यापारी को ही नहीं मिलेगा वरन हर घर तक फायदा पहुंचेगा। एक उदाहरण से यूं समझ लीजिये कि बीकानेर में रसगुल्ला या ऐसी ही मिठाइयों का बड़ा उद्योग है। इसमें बड़ा हिस्सा चीनी का है। ऐसे मंे सीधे लागत 1.6 प्रतिशत कम हो जाएगी। इसी तरह हर घर तक यह लाभ पहुंचेगा।