क्रूड आयल के रेट होंगे धड़ाम, मजबूत सप्लाई और सुस्त ग्लोबल डिमांड
विश्वभर में चल रही आर्थिक अस्थिरता के बीच में क्रूड आयल के दामों में गिरावट आने वाली है। विशेषज्ञों की माने तो आने वाले समय में क्रूड आयल के रेट धड़ाम होंगे और काफी निचले स्तर पर पहुंच जाएंगे। इसका मुख्य कारण पूरे विश्व में मजबूत सप्लाई और सुस्त ग्लोबल डिमांड मे कमी आई है। इसके अलावा विश्व में तनाव भरे माहौल में क्रूड आयल की सप्लाई के बीच में प्रतिस्पर्धा चली हुई है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी और निवेश फर्म एसएंडपी ग्लोबल ने भारत के लिए राहत भरा अनुमान जारी किया है जिसका आगे शेयर बाजार को भी फायदा मिल सकता है।
एसएंडपी का अनुमान है कि इस साल दिसंबर तक कच्चे तेल के भाव 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से भी नीचे जा सकते हैं। एजेंसी का मानना है कि इसका कारण क्रूड की मजबूत सप्लाई और सुस्त ग्लोबल डिमांड है। फिलहाल क्रूड 70 डॉलर के आसपास है। एसएंडपी ने कहा कि ओपेक प्लस उत्पादन में कटौती नहीं करेंगे और कीमतों में नरमी रहेगी। टैरिफ पर डील होने की स्थिति में कच्चे तेल की नरमी बाजार को नए रेकॉर्ड स्तरों पर पहुंचने में मदद करेंगी।
क्यों सस्ता है क्रूड
देश के लिए अहम कच्चे तेल की नरमी एक तरफ जहां महंगाई में स्थिरता में मदद करेगी जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं खुली रहेंगी। वहीं सरकारी खजाने को भी काफी मदद मिलेगी, जिससे आगे और कई संभावनाएं खुलेंगी। भारत अपनी जरूरत का 80 त्न्न हिस्सा विदेश से खरीदता है।
बोफा सिक्योरिटीज ने कहा कि भारत की ओर से खरीदे गए हर बैरल में 10 डॉलर की औसत गिरावट से देश को 13 अरब डॉलर की सालाना बचत हो सकती है। ये रकम भारत के रिजर्व को बढ़ाने में काफी मदद कर सकती है। साथ ही तेल कंपनियों को भी अतिरिक्त आय मिलती है जिससे क्रूड में तेजी आने पर इसका इस्तेमाल रिटेल कीमतों को नियंत्रित करने में कर सकती है।