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Dollar Vs Rupee : डालर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट, आम लोगों की जेब पर पड़ेगा असर 

 

डालर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट का सिलसिला रुक नहीं रहा है। जहां पर रुपया लगातार निचले स्तर को छू रहा है।  डॉलर के मुकाबले सोमवार रुपये ने 89.73 रुपए प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई। हालांकि बाद में रुपया 46 पैसे मजबूत होकर 89.20 के स्तर पर बंद हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपया डॉलर के मुकाबले 90 से भी नीचे फिसल सकती है।

रुपए में गिरावट का सीधा असर अब आपकी जेब और रोजमर्रा के खर्च पर पड़ सकता है। डॉलर के महंगा होने से पेट्रोल-डीजल से लेकर मोबाइल, टीवी, फ्रिज, कार, दवाइयों और हवाई यात्रा तक कई चीजें महंगी हो सकती है। हालांकि आइटी और दवा बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है और इन कंपनियों की कमाई बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों ने कहा ने कहा कि रुपया एक साल में 6.34  प्रतिशतलुढ़का है। यदि भारतीय मुद्रा में गिरावट जारी रही तो वे सभी उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिनके कच्चे माल के लिए भारत आयात पर निर्भर है। इससे खाद्य तेल, दाल जैसे आइटम महंगे होंगे, क्योंकि इनके लिए भी हम आयात पर निर्भर हैं। इससे जीएसटी कटौती का लाभ भी कम होने की आशंका बढ़ रही है।

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर क्रूड ऑयल के दाम शांत रहे, डॉलर थोड़ा नरम हुआ और विदेशी निवेशकों की बिकवाली थमी तो रुपया अगले 3-4 तिमाही में एक स्टेबल रेंज पकड़ सकता है। भारत-अमरीका ट्रेड डील भी रुपए को बड़ा सपोर्ट दे सकती है।

किनको फायदा

जिन कंपनियों की विदेश से कमाई होती है, उन्हें फायदा होगा। कमजोर रुपए से आइटी, फार्मा, टेक्सटाइल, स्पेशलिटी केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी और ऑटो एंसिलरी सेक्टर को लाभ हो सकता है।

किनको नुकसान

आयात महंगा होने से लागत बढ़ेगी। इससे एविएशन, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, इम्पोर्ट-हैवी ऑटो, पावर कंपनियों और कैपिटल गुड्स कंपनियों को नुकसान होगा।

आइटी-फार्मा को लाभ क्यों

आइटी कंपनियों की 70-90 प्रतिशत कमाई अमरीका और यूरोप से डॉलर में आती है, जबकि उनके कर्मचारियों को तनख्वाह रुपए में दी जाती है। इसलिए जब रुपया कमजोर होता है, तो इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ जाता है। दवा (फार्मा) कंपनियों की भी बड़ी मार्केट अमरीका है, इसलिए उन्हें भी रुपए के कमजोर होने से फायदा मिलता है। टेक्सटाइल जैसे कुछ अन्य निर्यात वाले क्षेत्रों पर इसका असर कभी अच्छा, कभी ठीक-ठाक रह सकता है।

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