Set Example : नारियल के बुरादे से फल-सब्जियां तैयार कर रुपये कमाने की मशीन बना हेमंत धाकड़
खेती से जुड़ी कोई बड़ी डिग्री नहीं, फिर भी नवाचार के दम पर इस क्षेत्र में मिसाल कायम कर दी। उज्जैन के बड़नगर रोड खाचरौद निवासी हेमंत धाकड़ (28) केवल 12वीं उत्तीर्ण हैं। जब कृषि के क्षेत्र में आए तो लीक से हटकर काम किया। इन्होंने परंपरागत खेती से हटकर अपने 5 बीघा के खेत में खुद का पॉली हाउस डालकर फल-सब्जी के पौधे तैयार करने का व्यवसाय शुरू किया।
पॉली हाउस मतलब लोहे के एंगल के ऊपर सफेद पन्नी का शेड। बीते 3 सालों से हेमंत पॉली हाउस में मल्टीनेशनल कंपनी के बीज व नारियल के बुरादे से फल-सब्जियों के पौधे तैयार कर रहे हैं। हेमंत का पूरा काम ऑर्डर पर चलता है। मप्र-राजस्थान के किसानों से मिलने वाले ऑर्डर पर हर महीने औसत करीब 8 से 10 लाख से ज्यादा पौधे तैयार करते हैं। अभी खरीफ सीजन में इनके पास करीब 20 से 25 लाख पौधों का ऑर्डर है।
हेमंत के पॉली हाउस के इस नवाचार में उनके पिता शंकरलाल, माता गंगाबाई, बडे भाई नमन, पत्नी कविता और भाभी ममता भी उनके साथ है। कुल 5 बीघा में 2-2 बीघा में एक व एक बीघा में एक पॉली हाउस है। 1 एकड में पॉली हाउस का अनुमानित खर्च 40 से 45 लाख रुपए का आया, इसमें लगभग 20 से 30 प्रतिशत सरकार की तरफ से सब्सिडी का लाभ भी मिला।
खर्च मुनाफे तक का गणित
हेमंत पॉली हाउस में गोभी सहित विभिन्न सब्जियों के पौधे तैयार करते है। गोभी का 1.30 रुपए के पौधे से लेकर ५ रुपए तक का पौधा है। हेमंत बताते हैं, 10 लाख पौधों पर 9 से 9.50 लाख रुपए खर्च के बाद भी लगभग 50 से 1 लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है।
हरियाणा-महाराष्ट्र से ट्रेनिंग ली
किसानों को फल-सब्जी के पौधों के लिए परेशान होता देख हेमंत के दिमाग में पॉली हाउस का डालने का आइडिया आया। वर्ष 2022 से हेमंत ने पॉली हाउस डालने के बाद भी हरियाणा, महाराष्ट्र के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटरों पर जाकर ट्रेनिंग ली। वर्तमान में हेमंत को मप्र के खाचरौद सहित रतलाम, उज्जैन, धार, मंदसौर व राजस्थान के माउंटआबू, प्रतापगढ, कोटा, निंबाहेडा से पौधों के ऑर्डर मिल रहे हैं।