देश में आधे से अधिक अनाज का उत्पादन इन 5 राज्यो में होता है, जानिए कौन सा है सबसे ऊपर
5 Crop Production States: सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों जैसे फसल, पशुपालन, वानिकी और मछली पालन की ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) को दर्शाया गया है। यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2011-12 से 2023-24 तक के आंकड़ों पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की कुल वैल्यू 15.02 लाख करोड़ रुपए थी, जो 2023-24 में बढ़कर 48.78 लाख करोड़ रुपए हो गई। यानी मौजूदा कीमतों पर इसमें 225% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि स्थिर मूल्यों के हिसाब से यह वृद्धि लगभग 54.6% रही।इन वर्षों में फसलों की हिस्सेदारी 62.4% से घटकर 54.1% पर आ गई, जबकि पशुपालन का योगदान 25.6% से बढ़कर 31.2% हुआ। मछली पालन भी तेजी से उभरा है और इसका हिस्सा 4.2% से बढ़कर 7% हो गया है। वानिकी में लगभग स्थिरता रही।
2023-24 में फसलों की वैल्यू 15.95 लाख करोड़ रुपए रही, जिसमें अनाज और फल-सब्जियों की भागीदारी 52.5% के करीब रही। अनाज की हिस्सेदारी 26% रही, जबकि फल-सब्जियों का हिस्सा 25% से अधिक हो गया है। दालें अब भी 5% से कम योगदान दे रही हैं, जबकि तिलहन, चीनी और मसाले जैसे उत्पादों में हल्की घट-बढ़ देखी गई है।
अनाजों में धान और गेहूं का दबदबा कायम है, जिनकी साझा हिस्सेदारी 85% से अधिक है। मक्का की हिस्सेदारी 7% से बढ़कर 9.3% हो गई है। फलों की बात करें तो अब केला, आम से आगे निकल चुका है, जहां केले की वैल्यू 47,000 करोड़ और आम की 46,100 करोड़ रुपए रही। 2011-12 में आम शीर्ष पर था, लेकिन अब उसमें गिरावट देखी जा रही है।
सब्जियों में आलू सबसे अहम फसल बनी हुई है। इसकी उत्पादन वैल्यू 21,300 करोड़ रुपए से बढ़कर 37,200 करोड़ हो चुकी है। फूलों की खेती से भी किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है, जो अब 28,100 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।मसालों के उत्पादन में मध्य प्रदेश सबसे आगे निकल गया है, जिसकी हिस्सेदारी 19.2% है।
इसके बाद कर्नाटक और गुजरात का स्थान आता है। पशुपालन की वैल्यू 12 वर्षों में 4.88 लाख करोड़ से बढ़कर 9.19 लाख करोड़ हो गई है। दूध अब भी सबसे बड़ा उत्पाद बना हुआ है, हालांकि मीट का हिस्सा तेजी से बढ़ा है और अब यह 24% तक पहुंच गया है।
मछली पालन में भी जबरदस्त ग्रोथ देखी गई है। समुद्री मछलियों की हिस्सेदारी अब इनलैंड फिशिंग के बराबर आ चुकी है।