उष्ट्र प्रतियोगिता से पशुपालकों को प्रोत्साहन, ऊँट संरक्षण और विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम
RNE Bikaner.
शनिवार को श्रीकोलायत के पशुपालन विभाग के तत्वावधान में श्री कपिल मुनि पशु मेला 2024 का आयोजन हुआ। इस मेले में आयोजित उष्ट्र (ऊँट) प्रतियोगिता ने पशुपालकों और दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से आए पशुपालकों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया।
इस कार्यक्रम में श्रीकोलायत के विधायक श्री अंशुमान सिंह भाटी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही उपखंड अधिकारी श्री राजेंद्र नायक, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. कुलदीप चौधरी, नोडल अधिकारी डॉ. गोविंद राम, प्रभारी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय कुमार तंवर, डॉ. जितेंद्र जयपाल, और डॉ. सूर्य प्रकाश सहित अन्य अधिकारी व पशुधन सहायक भी शामिल हुए।
इस प्रतियोगिता को तीन चरणों में विभाजित किया गया था:
1. उष्ट्र नस्ल प्रतियोगिता
इस चरण में ऊँटों की नस्ल, आकार-प्रकार, और उनकी शारीरिक विशेषताओं के आधार पर विजेताओं का चयन किया गया।
प्रथम स्थान: जगदीश गोदारा, बरसिंगसर
द्वितीय स्थान: मोहन सिंह, भोलसर
तृतीय स्थान: अन्य प्रतिभागी
2. उष्ट्र श्रृंगार प्रतियोगिता
इस प्रतियोगिता में ऊँटों की सजावट और बालों की कलाकृतियों का मूल्यांकन किया गया।
प्रथम स्थान: रामलाल कूकनाअक्कासर
द्वितीय स्थान: श्रवण राम अक्कासर
तृतीय स्थान: मौज अली मोटासर
3. उष्ट्र नृत्य प्रतियोगिता
इस चरण में ऊँटों के नृत्य कौशल और प्रशिक्षकों की प्रस्तुति को सराहा गया।
प्रथम स्थान: मौज अली
द्वितीय स्थान: इस्तक़ अली
तृतीय स्थान: सिकंदर अली
प्रत्येक चरण के विजेता पशुपालकों को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सभी विजेताओं को उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ प्रोत्साहित किया गया।
संयुक्त निदेशक डॉ. कुलदीप चौधरी ने पशुपालकों को ऊँट संरक्षण और पशुपालन विभाग की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये योजनाएँ ऊँटपालन को बढ़ावा देने में सहायक साबित होंगी।
उपखंड अधिकारी श्री राजेंद्र नायक ने पशुपालकों से उनकी राय लेते हुए आश्वस्त किया कि आने वाले वर्षों में यह मेला और बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। विधायक श्री अंशुमान सिंह भाटी ने भी इस पहल की प्रशंसा करते हुए इसे पशुपालकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया।
मेले में पशुओं की देखभाल के लिए पशुपालन विभाग ने 24 घंटे पशु चिकित्सा सेवाएँ प्रदान की। कई पशु चिकित्सकों और सहायकों ने दिन-रात तीन पारियों में काम किया ताकि मेले में किसी भी पशुपालक को असुविधा न हो।
इस मेले के सफल आयोजन के साथ यह संकल्प लिया गया कि आने वाले समय में इसे और भव्य रूप दिया जाएगा। बड़े बजट और योजनाओं के साथ, यह मेला न केवल पशुपालकों के लिए लाभकारी होगा बल्कि क्षेत्र की पहचान भी बनेगा।