साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित हरेकृष्ण महताब की पुस्तक के हिंदी एवं अंग्रेजी अनुवाद माननीया राष्ट्रपति को भेंट
शुक्र है पोस्टमार्टम नहीं किया : जिसे चार घंटे पहले मृत घोषित कर दो घंटे फ्रिज में रखा, श्मशान ले गये तो जिंदा निकला