Chandipura Virus Alert – 78 रोगी- 28 मौत : मृतकों में 01 राजस्थान, 27 गुजरात के
- केन्द्र ने गुजरात, राजस्थान, एमपी के हालत पर बात की
- चांदीपुरा वायरस: राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश में 78 केस, 28 मौत
- 15 वर्ष तक के बच्चों में बीमारी का ज्यादा असर
- सर्वाधिक प्रकोप गुजरात में वहां एक्सपर्ट्स की टीम भेजी
- स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा, वायरस का असर बहुत बड़े क्षेत्र में नहीं है।
- राजस्थान से भी जांच के लिए पुणे भेजे सैंपल
- तीनों राज्यों की समीक्षा, एक्सपर्ट्स की टीमें भेजीं
RNE Network.
गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश से एक डराने वाली खबर सामने आई है। खबर यह है कि एक इन इलाकों मंे एक वायरस सक्रिय हो गया है जिसका नाम है चांदीपुरा वायरस। इसके प्रभाव आकर लोग बीमार हो रहे हैं। खासतौर पर यह बच्चों पर ज्यादा असर कर रहा है। इनमें भी 15 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चों पर असर ज्यादा देखा गया है। इन तीन राज्यों के 78 संदिग्ध मरीज अब तक सामने आ चुके हैं। दर्दनाक बात यह है कि इनमें से 28 की मौत हो गई है। मृतकों में 27 गुजरात के और एक राजस्थान का बच्चा शामिल है। इसके साथ ही राजस्थान के डूंगरपुर में इस बीमारी के लक्षणों वाले दो बच्चों को भर्ती किया गया है। इनके सैंपल जांच के लिए पूना भेजे गए हैं।
बीमारी की गंभीरता और जानलेवा हालात देखते हुए सरकार हाई अलर्ट मोड पर आ गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य महानिदेशक प्रोफेसर अतुल गोयल ने एक्सपर्ट्स के साथ इमरजेंसी मीटिंग की है। इस मीटिंग में एम्स, कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मंेटल हैल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निम्हांस) के एक्सपर्ट्स के साथ ही राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश के निगरानी यूनिट्स के इंचार्ज भी शामिल हुए हैं। चांदीपुरा वायरस एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर हुई इस समीक्षा बैठक में इस बात पर राहत महसूस की गई कि अभी इस वायरस का प्रभाव सीमित एरिया में है। इसके साथ ही गुजरात में विशेष अध्ययन की जरूरत समझते हुए वहां एनसीडीसीए आईसीएमआर और डीएएचडी के एक्सपर्ट्स की टीम भेजने का निर्णय हुआ है।
इतना गंभीर है वायरस का प्रकोप :
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक जून 2024 की शुरुआत से ही गुजरात में 15 साल से कम आयु के बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामले सामने आ रहे हैं। 20 जुलाई, 2024 तक एईएस के कुल 78 मामले सामने आए हैं जिनमें से 75 मामले गुजरात के 21 जिलों-निगमों से हैं। राजस्थान के 2 और मध्यप्रदेश के एक केस हैं। दर्दनाक तथ्य यह है कि इनमें से 28 मामलों में मरीज की मृत्यु हो गई है। एनआईवी पुणे में परीक्षण किए गए 76 नमूनों में से 9 में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। समस्त 9 सीएचपीवी-पॉजिटिव मामले और इससे जुड़ी 5 मौतें गुजरात में हुई हैं।
ये है AES :
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) चिकित्सकीय रूप से समान न्यूरोलॉजिक अभिव्यक्तियों का एक समूह है, जो कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होता है। एईएस के ज्ञात वायरल कारणों में जेई, डेंगू, एचएसवी, सीएचपीवी, वेस्ट नाइल आदि शामिल हैं।
ये हैं चांदीपुरा वायरस :
चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रैबडोविरिडे परिवार का एक सदस्य है जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में छिटपुट मामलों और प्रकोपों का कारण बनता है, खासकर मानसून के दौरान। यह सैंड फ्लाई और टिक्स जैसे रोगवाहक कीटों से फैलता है।
बचाव ही उपचार, स्वछता रखें :
यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि वेक्टर जनित रोग नियंत्रण, स्वच्छता, और जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपलब्ध उपाय है। यह बीमारी मुख्यत: 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है और इसके साथ ही संक्रमण की वजह से बुखार भी हो सकता है, जिससे कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। वैसे तो ‘सीएचपीवी’ के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है और इसका उपचार लक्षणात्मक ही होता है, लेकिन एईएस की चपेट में आए मरीजों को समय पर स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजने से वे इससे उबर सकते हैं।
इसका नाम चांदीपुरा वायरस क्यों :
इसकी पहचान पहली बार 1965 में भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिले के चांदीपुरा गाँव के दो रोगियों के खून की जांच से हुई थी। इसे मध्य भारत में एन्सेफैलिटिक बीमारी के कई अन्य अस्पष्टीकृत प्रकोपों से जोड़ा गया है। जून और अगस्त 2003 के बीच, भारत के आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में 329 बच्चे इस वायरस की चपेट में आए और 183 बच्चों की मृत्यु हो गई। वर्ष 2004 में भी गुजरात राज्य में बच्चों में छिटपुट मामले और मौतें देखी गईं।