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खाजूवाला कस्बे के आसपास के बच्चों को पढ़ने के लिए मिलेगा अच्छा वातावरण

RNE, KHAJUWALA 

इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण की नहर के किनारे बसे एक विकासशील कस्बे खाजूवाला में शिक्षा की क्रांति लाने के लिए यहां के चक 22 केवाईडी के पूनिया परिवार ने अपने परिवार के दिवंगत मुखिया की स्मृति में सामाजिक सरोकारों से जुड़ा एक नवाचार किया है।

समाजसेवी श्री भागीरथ पूनिया की स्मृति में उनके परिवार जनों ने खाजूवाला कस्बे सहित आसपास के गांव के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए एक वातानुकूलित पुस्तकालय भवन बना कर दिया है। 1800 स्क्वायर फीट के वातानुकूलित लाइब्रेरी रूम में विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर आदि की पूर्ण व्यवस्था की गई है. इसके साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए करंट अफेयर्स से जुड़ी पत्र पत्रिकाएं भी विद्यार्थियों के लिए भविष्य में उपलब्ध करवाई जाएगी। इस नवनिर्मित चौधरी भागीरथ पूनिया पुस्तकालय का लोकार्पण दिनांक 12 सितंबर को दोपहर 1:15 बजे होगा। 

जानिए भागीरथ पूनिया के बारे में…

स्वर्गीय श्री भागीरथ पूनियाँ का जन्म 09 जून 1952 को चौधरी मनफूलराम पूनियाँ और श्रीमती लिछमा देवी के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ। इनका जन्म गाँव हाथूसर (जो वर्तमान में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का हिस्सा है), तहसील लूणकरणसर में हुआ। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा गाँव हाथूसर से प्राप्त की और माध्यमिक शिक्षा फोर्ट स्कूल, बीकानेर से पूर्ण की। भागीरथ पूनियाँ अपने आदर्श चौधरी रामरख जी लेघा (फूफाजी) के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे।

वे एक कर्तव्यनिष्ठ, दूरदर्शी, ईमानदार और अनुशासित व्यक्ति थे। परिवार के ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते, उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अपनी पढ़ाई और अध्यापक की नौकरी को त्यागकर परिवार की बागडोर संभाली। उन्होंने शिक्षा को जीवन के निर्माण का महत्त्वपूर्ण स्तम्भ माना और अपने पूरे परिवार को उच्च शिक्षा दिलाने में सफलता प्राप्त की। पूनिया ने सन् 1985-86 में महाजन क्षेत्र के 34 गाँवों के विस्थापन के दौरान “34 गांव संघर्ष समिति” सदस्य के रूप में काम करते हुए क्षेत्रवासियों को सरकार से सिंचित क्षेत्र में भूमि आवंटन और मुआवजा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कड़ी मेहनत और सत्यनिष्ठा का पालन करते हुए न केवल कृषि में, बल्कि व्यापार जगत में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। वे एक दृढ़ निश्चयी और सफल व्यापारी के रूप में जाने जाते थे। उनका जीवन परिश्रम, ईमानदारी, पारिवारिक सद्भाव और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक रहा है, जो नई पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।