राजस्थानी के लिए मुख्य सचिव का पत्र पहले की तरह लॉलीपॉप तो नहीं, सीएम करे पहल
RNE Bikaner.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के हस्तक्षेप पर राज्य के मुख्य सचिव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का आग्रह किया है। अच्छी बात है, इसका स्वागत है। एक ड्यूटी तो निभाई है सरकार ने। राजस्थानी प्रेमी इससे खुश हैं। खुशी का इजहार करते हुए यहां तक कह रहे हैं कि अब जल्द ही राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिल जायेगी। भावुक मायड़ भाषा राजस्थानी प्रेमियों की यह प्रसन्नता गैरवाजिब भी नहीं।
मगर सत्य को परखने में भावुकता को छोड़ना पड़ता है। कटु अनुभवों को याद कर जब नये पत्र के बारे में सोचेंगे तो यथार्थ को देख पाएंगे। ऐसे पत्र इससे पहले भी दर्जनों बार सीएम, शिक्षा मंत्रियों व अधिकारियों द्वारा लिखे गए हैं केंद्र सरकार को। मगर उन पत्रों पर आज तक तो कोई कार्यवाही नहीं हुई। अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे ने भी सीएम के रूप में मान्यता देने के लिए पत्र लिखे, मगर केंद्र सरकार की इस मामले में चुप्पी ही रही।
यदि शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव व राज्य सरकार सच में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाना चाहते हैं तो वे पहले वो सभी काम तो करे जो उनके अधिकार क्षेत्र में है। उन कार्यों को करने से केंद्र मान्यता देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति में स्पष्ट है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाये। ये राज्य सरकार का विषय है। वो राज्य की सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में इसे पढ़ाने का काम शुरू कर पद स्वीकृत कर सकती है। मगर ऐसा तो हो नहीं रहा।
माध्यमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा में भी पद स्वीकृत नहीं किये जा रहे। प्राथमिक स्कूल से लेकर कॉलेज तक यदि विषय आरम्भ करे, पद दे तो मायड़ भाषा राजस्थानी की मान्यता की बात को बड़ा बल मिलेगा। यह काम तो राज्य सरकार के जिम्मे ही है। मगर न विषय खोला जा रहा है और न ही पद स्वीकृत किये जा रहे हैं। मंशा आखिर क्या है राज्य सरकार की, वो बताए, पत्र लिखने से क्या होता है।
दूसरी बात, देश में मातृभाषा दिवस मनाया जाता है, उसे राजस्थानी भाषा दिवस घोषित किया जा सकता है, कुछ भी धन नहीं लगना, केंद्र सरकार से भी नहीं पूछना। फिर भी ये निर्णय शिक्षा, उच्च शिक्षा विभाग व राज्य सरकार नहीं कर रही।
राज्य सरकार राजस्थानी को दूसरी राजभाषा घोषित कर सकती है। जो उसके अधिकार क्षेत्र में है। मगर ये काम भी नहीं हो रहा। पत्र लिखने का स्वागत है, मगर केंद्र से सीधे बात करके मान्यता दिलाने के काम की जरूरत है। राज्य व केंद्र की सरकार एक ही दल की है, फिर अड़चन तो आनी ही नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार को एक साल हो गया, जश्न मनाया जा रहा है। इस मौके पर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाकर वे 12 करोड़ से अधिक राजस्थानियों की भावना को सम्मान दे सकते हैं।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।